ठेका श्रमिकों के शोषण की असल तस्वीर देखनी है तो शिवराज यादव को देख लें। सब स्टेशन में ड्यूटी के दौरान 11 हजार वोल्ट के करंट लगने से झुलसे कर्मी को मदद करने कोई आगे नहीं आ रहा। न बिजली कंपनी ना ही ठेका कंपनी। पिछले 14 दिन से कर्मी अस्पताल में उपचार करवा रहा है लेकिन अभी तक उसे एक रुपये की मदद कहीं से नहीं मिली है। कुछ अफसरों ने जरूर निजीतौर पर सहायता दी है। ठेका कंपनी ने कर्मी को बेसहारा छोड़ दिया है। सिर्फ यही नहीं ऐसे वक्त में कर्मी को दिसंबर माह से वेतन का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि विगत 10 जनवरी की रात में पाटन संभाग के मेरेगांव सब स्टेशन में रात करीब दो बजे बिजली सप्लाई चालू करते वक्त आपरेटर शिवराज यादव पर 11 केवी लाइन गिरी। उसके कंधे बुरी तरह से झुलस गए। उसकी पीठ, कमर और दोनो पैर झुलस गए। जब घटना हुई तब शिवराज सब स्टेशन में अकेला ही था।किसी तरह उसने खुद को संभाला और अपने सहकर्मी को मोबाइल पर घटना की जानकारी दी।इसके बाद उसे बेलखेड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां से मेडिकल कालेज अस्पताल रिफर कर दिया गया। मेडिकल कालेज अस्पताल में भी आराम न मिलने पर उसे एमएच अस्पताल में भर्ती किया गया।इतना सब होने के बाद ठेका कंपनी किस्टल के अधिकारी कर्मी का हाल जानने भी नहीं पहुंचे। इधर अफसरों ने घटना के बाद मुंह फेर लिया। वितरण केंद्र के कुछ कर्मियों ने निजीतौर ही मदद दी।
इलाज का खर्च नहीं उठाया: पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के ठेका प्रथा पर सवाल है कि कर्मचारी दुर्घटना में घायल हो रहा है लेकिन उसे उपचार नहीं मिल रहा है। कर्मचारी को ठेका कंपनी किस्टल ने उपचार में मदद क्यों नहीं की।कर्मचारी को बिजली कंपनी की तरफ से भी मदद मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ। कर्मचारी को दिसंबर का वेतन भुगतान क्यों नहीं हुआ जबकि ठेका कंपनी को माह की पांच से 10 तारीख के बीच वेतन भुगतान करने की मियाद तय है। इसके बावजूद हर माह वेतन भुगतान में बिलंब करने वाली ठेका कंपनी पर अफसर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं।