अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर ने एक वीडियो जारी कर अपने घायल होने की ख़बर का खंडन किया है.
बरादर ने वीडियो जारी कर उन ख़बरों को ग़लत बताया है जिसमें कहा जा रहा था तालिबान के एक प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ हिंसा में वह घायल हो गए हैं.
तालिबान के सह-संस्थापक बरादर बीते कई दिनों से सार्वजनिक तौर पर नज़र नहीं आये थे, जिसके बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे.
तालिबान नेताओं के बीच विवाद की खबरें भी आयीं.
बरादर से जब पूछा गया कि क्या उन्हें चोट लगी है?
तो उन्होंने कहा, “नहीं, यह सच नहीं है. मैं ठीक हूं और स्वस्थ हूं.”
उन्होंने कहा, “मैं काबुल से बाहर था और इन फ़र्ज़ी ख़बरों को ख़ारिज करने के लिए मेरे पास इंटरनेट नहीं था.”
बरादर तालिबान के वह पहले नेता थे जिन्होंने 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ टेलीफ़ोन पर बात की थी. इससे पहले उन्होंने तालिबान की ओर से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
इस वीडियो के आने से पहले तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों ने बीबीसी को बताया था कि बरादर के समर्थकों का ख़लील उर-रहमान हक्कानी के वफ़ादार गुट के साथ विवाद हुआ है.
सूत्रों ने कहा था कि यह विवाद इसलिए हुआ क्योंकि बरादर तालिबान की अंतरिम सरकार की संरचना से नाखुश हैं.
कथित तौर पर यह विवाद इस बात को लेकर भी था कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की जीत का सेहरा किसके सिर बंधना चाहिए.
तालिबान के एक सूत्र ने बीबीसी पश्तो से कहा था कि बरादर और ख़लील उर-रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है. इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए. ख़लील उर-रहमान आतंकवादी संगठन हक़्क़ानी नेटवर्क के नेता और तालिबान की सरकार में शरणार्थी मंत्री हैं.
क़तर स्थित तालिबान के एक सीनियर सदस्य और एक व्यक्ति, जो इस कलह में शामिल थे, उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले हफ़्ते ऐसा हुआ था.
सूत्रों के अनुसार विवाद इसलिए हुआ क्योंकि बरादर, जिन्हें अंतरिम सरकार में उप-प्रधानमंत्री बनाया गया है, वे सरकार की संरचना से ख़ुश नहीं हैं. अफ़ग़ानिस्तान में जीत के श्रेय को लेकर तालिबान के नेता आपस में उलझ रहे हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार बरादर को लगता है कि उनकी डिप्लोमेसी के कारण तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता मिली है जबकि हक़्क़ानी नेटवर्क के सदस्यों और समर्थकों को लगता है कि अफ़ग़ानिस्तान में जीत लड़ाई के दम पर मिली है. हक़्क़ानी नेटवर्क की कमान तालिबान के एक शीर्ष नेता के पास है.
दूसरी तरफ़ शक्तिशाली हक़्क़ानी नेटवर्क है जो कि हाल के वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान में पश्चिमी बलों पर सबसे हिंसक हमलों में शामिल रहा है. अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. इसके नेता सिराजुद्दीन हक़्क़ानी तालिबान की नई सरकार में गृह मंत्री हैं.
बरादर की सार्वजनिक मंचों पर ग़ैर-मौजूदगी के कारण पिछले सप्ताह तालिबान सरकार में आंतरिक कलह की अफ़वाहें सामने आयी थीं. सोशल मीडिया पर तो कुछ पोस्ट्स में बरादर के मारे जाने की भी बात कही जा रही थी.
तालिबान के सूत्रों ने बीबीसी को बताया था कि बरादर काबुल में नहीं हैं और विवाद के बाद कंधार शहर चले गए हैं.
इस साक्षात्कार के जारी होने से पहले, तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के एक अधिकारी ने ट्विटर पर लिखा था कि बरादर का साक्षात्कार सरकारी चैनल पर प्रसारितकिया जाएगा ताकि दुश्मनों के दुष्प्रचार को ख़ारिज किया जा सके.
तालिबान ने पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया था और तब से देश को “इस्लामिक अमीरात” घोषित कर दिया है. उनकी अंतरिम नयी सरकार में सभी पुरुष हैं और ज़्यादातर तालिबान के वरिष्ठ लोगों को अहम पद दिये गए हैं, जिनमें से कुछ दो दशकों के दौरान अमेरिकी सेना पर हमलों के लिए कुख्यात हैं