बीस साल पहले साल 2001 में अमेरिका में अल-क़ायदा के चरमपंथी हमले के बाद अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला करके तालिबान सरकार को उखाड़ फेंका था. लेकिन 30 अगस्त, 2021 के दिन अमेरिका ने आख़िरकार अफ़ग़ानिस्तान से अपना पल्ला झाड़ लिया और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने सारे फ़ौजी अफ़ग़ानिस्तान से निकाल लिए.
मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फ़ौज को वापस बुलाने का उनका फ़ैसला बिलकुल सही है और वह एक अंतहीन युद्व में फ़ौजियों को नहीं भेजना चाहते.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान युद्व ख़त्म हो गया…. मेरा फ़ैसला बिल्कुल सही है और अमेरिका के लिए यह बेहतरीन फ़ैसला है.”
अमेरिका का हासिल क्या रहा?
पिछले 20 वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान युद्व में क़रीब 2500 अमेरिकी फ़ौजी मारे गए और हज़ारों ज़ख़्मी हुए. इसके अलावा क़रीब 4000 अमेरिकी कांट्रैक्टर भी मारे गए.बाइडन का कहना था कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान का युद्व ख़त्म करने का वादा किया था और उन्होंने उसे पूरा कर दिया.
बाइडन ने 1 लाख 30 हज़ार से अधिक अमेरिकी नागरिकों और अन्य लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अमेरिकी फ़ौज और अन्य अधिकारियों की तारीफ़ की.
बाइडन ने कहा कि जो अमेरिकी नागरिक अफ़ग़ानिस्तान से निकलना चाहते थे उनमें से 90 प्रतिशत अमेरिकियों को निकाल लिया गया है.
हालांकि अब भी क़रीब 200 अमेरिकी नागरिक अफ़ग़ानिस्तान में छूट गए हैं. उनको निकालने के लिए अमेरिका ने तालिबान से वादा लिया है कि वह उन्हें सुरक्षित तौर पर निकलने में मदद करेंगे.
अमेरिका में यह कहा जा रहा है कि अब भी अमेरिका का ग्रीन कार्ड रखने वाले बहुत से लोगों के अलावा क़रीब 40 हज़ार ऐसे अफ़ग़ान नागरिक भी हैं जो अफ़ग़ानिस्तान से निकाले जाने के इंतज़ार में हैं जिन्होंने अफ़ग़ान युद्व के दौरान अमेरिकी फ़ौज की मदद की थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अफ़ग़ानिस्तान से सेना निकालने के फ़ैसले का एक ओर जहां बहुत से अमेरिकी स्वागत कर रहे हैं वहीं जिस तरह से अफ़रा-तफ़री में अमेरिका वहां से निकला है उससे लोगों में बेचैनी भी है.
अमेरिका में प्रतिक्रिया
काबुल हवाई अड्डे पर लोगों का हुजूम, चरमपंथी हमले और अमेरिका के जवाबी हमलों के जिस तरह के वीडियो दिन भर टीवी न्यूज़ चैनलों पर चलते रहते हैं, उन्हे देखकर बहुत से लोग यह कहते नज़र आ रहे हैं कि क्या बाइडन प्रशासन के पास पहले से कोई योजना तैयार नहीं थी? क्या सेना और दूसरे अमेरिकी और उनके सहयोगियों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए कोई योजना नहीं बनायी गई थी?
अब यह भी सवाल उठ रहे हैं कि जब अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद था तब तो वह तालिबान पर ज़ोर डाल नहीं सका तो अब यह कैसे मुमकिन होगा कि वह अपनी बात मनवाने और समझौते के तहत तय हुई बातों के लिए तालिबान को बाध्य कर सके.
वहीं अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि तालिबान पर दबाव डालने के लिए अमेरिका के पास कई हथकंडे हैं.
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने इस बारे में कहा,”हम तालिबान से अपनी बात मनवाने और उनपर दबाव डालने के लिए विश्व बाज़ार तक पहुंच का इस्तेमाल करेंगे. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का प्रयोग किया जाएगा. इसके अलावा तालिबान के साथ हमारा संपर्क का चैनल अब भी खुला हुआ है.”