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जिनपिंग के तिब्बत दौरे के बाद पूर्वोत्तर में शाह:चीनी राष्ट्रपति कल भारत सीमा से सटे तिब्बत के न्यिंगची शहर में थे, यहां से 462 किमी दूर शिलॉन्ग में आज गृह मंत्री अमित शाह पहुंचेंगे

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीते दिन अचानक अरुणाचल प्रदेश से सटे तिब्बत का दौरा किया था। वे शुक्रवार को न्यिंगची शहर पहुंचे थे। उनकी यह यात्रा भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच हुई। 2013 में सत्ता संभालने के बाद उनका यह पहला तिब्बत दौरा था। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, राष्ट्रपति शी बुधवार को न्यिंगची मेनलैंड एयरपोर्ट पहुंचे थे।

इस बीच भारत के गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को दो दिन के पूर्वोत्तर दौरे पर पहुंच रहे हैं। उनके दौरे की शुरुआत शिलांग से होगी। खास बात यह है कि जिनपिंग ने जिन इलाकों का दौरा किया, वहां से हवाई रूट के जरिए शिलांग की दूरी महज 462 किमी है। इस दौरान शाह पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक अहम मीटिंग करेंगे, जिसमें सीमा विवाद जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

पूर्वोत्तर राज्यों में किनके बीच सीमा विवाद?
पूर्वोत्तर राज्यों के बीच काफी समय से सीमा विवाद चल रहा है। इनमें असम, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम शामिल हैं। असम का अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम के साथ सीमा विवाद है।

भारत के लिए इन दौरों के मायने

  • हाल ही में कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीन अरुणाचल से सटे इलाकों को मिलिट्री कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा है। ऐसे में चीनी राष्ट्रपति का दौरा भारत के लिए चेतावनी की तरह हो सकती है। इसी तरह गृह मंत्री के दौरे से यह साफ संदेश जाएगा कि भारत हर चुनौती के लिए तैयार है और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तत्पर है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी राष्‍ट्रपति ने दौरा ऐसे समय पर किया है, जब हाल ही में चीन ने पहली बार पूरी तरह बिजली से चलने वाली बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू किया है। यह बुलेट ट्रेन राजधानी ल्‍हासा और न्यिंगची को जोड़ेगी। इसकी रफ्तार 160 किमी प्रतिघंटा है।
  • शी कह चुके हैं कि यह ट्रेन स्थिरता को सुरक्षित रखने में मदद करेगी। उनका इशारा अरुणाचल से लगी सीमा से था। अगर चीन-भारत का युद्ध होता है तो यह रेलवे लाइन रणनीतिक रूप से उसके काफी काम आएगी।

4 पॉइंट्स में जिनपिंग का तिब्बत दौरा

  1. तिब्बत दौरे के दौरान जिनपिंग ने राजधानी ल्हासा में डेपुंग मठ, बरखोर स्ट्रीट और पोटाला पैलेस जैसे प्रसिद्ध बौद्ध मठों का दौरा किया।
  2. ल्हासा के पोटाला पैलेस को बौद्ध धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु दलाई लामा का घर कहा जाता है।
  3. माना जा रहा है कि जिनपिंग अपने इस दौरे से अगले दलाई लामा के चयन के लिए तिब्बतियों को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
  4. शी ने ब्रह्मपुत्र नदी के बेसिन में ईकोलॉजिकल और एनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन का जायजा लेने के लिए न्यांग नदी पर बने पुल का दौरा किया। भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है।

अरुणाचल प्रदेश पर चीन करता है दावा
न्यिंगची तिब्बत का एक अहम शहर है, जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा है और उसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। भारत इस दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है।

चीन और तिब्बत के बीच क्या है विवाद

  • दरअसल, चीन और तिब्बत के बीच विवाद बरसों पुराना है। चीन कहता है कि तिब्बत तेरहवीं शताब्दी में चीन का हिस्सा रहा है इसलिए तिब्बत पर उसका हक है। तिब्बत चीन के इस दावे को खारिज करता है।
  • 1912 में तिब्बत के 13वें धर्मगुरु दलाई लामा ने तिब्बत को स्वतंत्र घोषित कर दिया। उस समय चीन ने कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन करीब 40 साल बाद चीन में कम्युनिस्ट सरकार आ गई।
  • इस सरकार की विस्तारवादी नीतियों के चलते 1950 में चीन ने हजारों सैनिकों के साथ तिब्बत पर हमला कर दिया। करीब 8 महीने तक तिब्बत पर चीन का कब्जा रहा।
  • आखिरकार तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने 17 बिंदुओं वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के बाद तिब्बत आधिकारिक तौर पर चीन का हिस्सा बन गया।
  • हालांकि दलाई लामा इस संधि को नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि ये संधि जबरदस्ती दबाव बनाकर करवाई गई थी। संधि के बाद भी चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आया और तिब्बत पर उसका कब्जा जारी रहा।
  • इस दौरान तिब्बती लोगों में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ने लगा। 1955 के बाद पूरे तिब्बत में चीन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन होने लगे। इसी दौरान पहला विद्रोह हुआ जिसमें हजारों लोगों की जान गई।
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