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जापानी वैज्ञानिकों की रिसर्च: हाई-टेक टॉयलेट से सुपरबग बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा, इन पर एंटीबायोटिक दवाओं का भी असर नहीं होता इसलिए साफ-सफाई में बदलाव है जरूरी

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Hindi NewsHappylifeHigh tech TOILETS Could Spread Superbugs: Water jet Nozzles That Squirt Water To Clean Users’ Bottoms Are ‘reservoirs’ For Antibiotic resistant Bacteria, Study Warns

टोक्योएक मिनट पहले

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जापानी वैज्ञानिकों की नई रिसर्च अलर्ट करने वाली है। रिसर्च कहती है हाई-टेक टॉयलेट खतरनाक बैक्टीरिया ‘सुपरबग’ का घर बन सकता है। सुपरबग ऐसे बैक्टीरिया हैं जिन पर एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर रहती हैं। बैक्टीरिया फैलने का सबसे ज्यादा खतरा वॉटर जेट (नॉजल) से है। जिसे मल को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

80% जापानी घरों में हाई-टेक टॉयलेटजापान के करीब 80 फीसदी घरों में हाई-टेक टॉयलेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा एशिया के कुछ हिस्सों में भी ऐसे टॉयलेट हैं। इस पर रिसर्च करने वाली टोक्यो मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल का कहना है कि टॉयलेट के वॉटर जेट पर मल्टीड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया स्यूडोमोनास ऐरुगिनोसा खोजा गया है। यह इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि यह लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ाती है।

टॉयलेट की सफाई में बदलाव की जरूरतशोधकर्ता डॉ. इतारु नकमुरा कहते हैं, यह पहली ऐसी रिपोर्ट है जो बताती है हॉस्पिटल्स में संक्रमण को रोकने के लिए हाईटेक टॉयलेट पर भी नजर रखने की जरूरत है। अगर वॉटर जेट से संक्रमण फैलना शुरू होता है तो साफ-सफाई की गाइडलाइन में बदलाव के साथ टॉयलेट को डिसइंफेक्ट भी करना चाहिए। ऐसा न होने पर मरीज और हेल्थकेयर वर्कर्स में संक्रमण फैल सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है, जापान के हाई-टेक टॉयलेट में पेन्सिल जैसी नॉजल है जो इंसान के मल को हटाने के साथ खुद की सफाई भी करती है। इसके बावजूद उस पर बैक्टीरिया का जमावड़ा हो सकता है।

मरीजों में फैल रहा था संक्रमणसितम्बर 2020 से जनवरी 2021 के बीच टोक्यो मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजी वार्ड में लगे टॉयलेट के वाटर जेट पर शोधकर्ताओं को बैक्टीरिया मिले। शोधकर्ताओं की टीम ने टॉयलेट से 6 बार सैम्पल लिए। इन टॉयलेट्स को मरीजों ने इस्तेमाल किया था। इनमें से दो मरीज मल्टीड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया के संक्रमण से जूझ रहे थे। वहीं, दो मरीज सेप्सिस की गंभीर स्थिति से परेशान थे।

जेनेटिक फिंगरप्रिंटिंग तकनीक से यह जाना गया कि तीनों संक्रमित मरीज और पर्यावरण में मौजूद मल्टीड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया एक ही तो नहीं हैं।

डॉ. नकमुरा कहते हैं, रिसर्च के दौरान पाया गया कि टॉयलेट के नॉजल से मल्टीड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया स्यूडोमोनास ऐरुगिनोसा मरीजों में फैल रहा था। ऐसा संक्रमण गंभीर हो सकता है। टॉयलेट की साफ-सफाई का ध्यान रखकर संक्रमण को रोका जा सकता है।

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