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जयपुर दंगों में शांतिदूत बनकर आए थे दिलीप कुमार:10 हजार बच्चों के साथ निकाली थी रैली, अपील में कहा- भगवान ने इंसान को बनाने में भेद नहीं किया तो हम हिंदू-मुस्लिम बनकर क्यों कर रहे हैं

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जयपुर10 घंटे पहलेलेखक: विष्णु शर्मा

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29 साल पहले जयपुर में शास्त्री नगर दंगों में शांतिदूत बनकर आए थे दिलीप कुमार, कौमी एकता का ऐसा भाषण दिया कि लोगों की आंखों से आंसू निकल गए - Dainik Bhaskar

29 साल पहले जयपुर में शास्त्री नगर दंगों में शांतिदूत बनकर आए थे दिलीप कुमार, कौमी एकता का ऐसा भाषण दिया कि लोगों की आंखों से आंसू निकल गए

बॉलीवुड में ट्रेजडी किंग कहलाने वाले के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया। वे 98 साल के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार राजस्थान से से गहरा नाता रहा। फिर चाहे जयपुर में हुए दंगे में शांतिदूत बनना हो या फिर 75वीं वर्षगांठ दिलीप कुमार राजस्थान आने से नहीं चूके। 29 साल पहले जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में सांप्रदायिक दंगे हुए। जिसमें कई लोगों की जान गई। जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई। जान-माल को नुकसान हुआ। तब दिलीप कुमार जयपुर में शांतिदूत बनकर आए।

सवाई माधोपुर में डॉक्टर अजीज आजाद ने भास्कर से यादें ताजा करते हुए बताया कि 1992 में शास्त्री नगर में दंगों के बाद शांति बहाल करना बड़ी चुनौती बन गया था। हिंदू मुस्लिम परिवारों में भय बना हुआ था। सरकार भी चिंतित थी। तब शांति एवं सद्भावना बनाने के लिए सामाजिक समरसता और सामाजिक सद्भाव के लिए एक मंच बनाया गया था। इसमें पूर्व मंत्री रह चुके नवाब दुर्रु मियां ने अपने व्यक्तिगत नजदीकी रिश्तों के जरिए मुंबई में दिलीप साहब से बात की। उस वक्त उनका जबर्दस्त जलवा था। हर कोई उनका बड़ा फैन था। दुर्रु मियां ने बातचीत में सद्भावना रैली में दिलीप साहब से शामिल होने का आग्रह किया। तब वे तुरंत मान गए।

जयपुर में 1992 में सद्भावना रैली के बाद डिनर के वक्त दिलीप कुमार, तत्कालीन विधायक अलाउद्दीन आजाद, उनकी पत्नी गुलशन आजाद, उनके बेटे डॉ. अजीज आजाद के साथ

जयपुर में 1992 में सद्भावना रैली के बाद डिनर के वक्त दिलीप कुमार, तत्कालीन विधायक अलाउद्दीन आजाद, उनकी पत्नी गुलशन आजाद, उनके बेटे डॉ. अजीज आजाद के साथ

10 हजार स्कूली बच्चों की रैली में सबसे आगे चले, दंगा प्रभावित इलाकों में की सद्भावना की अपील

डॉ. अजीज ने बताया कि दिलीप साहब जयपुर पहुंचे। तब वे खुद भी अपने पिता अलाद्दीन आजाद के साथ जयपुर आए थे। उनके पिता अलाउद्दीन आजाद सवाई माधोपुर में कांग्रेस से विधायक थे। वे अक्सर पापा के साथ रहते थे। उनकी जीप चलाया करते थे। प्रशासन के इंतजामों के बीच दिलीप कुमार साहब उनकी जीप में सवार हुए। उनके साथ दुर्रु मियां और सामाजिक सद्भाव मंच के सभी धर्मों के बड़े चेहरे थे। इस सद्भावना रैली में करीब 10 हजार स्कूली बच्चों को शामिल किया। यह रैली कौमी एकता का संदेश और शांति से जीने की अपील के साथ दंगा प्रभावित इलाकों में घूमी। इसमें सबसे आगे दिलीप कुमार चले।

दिलीप कुमार का भाषण सुनकर लोगों की आंखों से आंसू बह रहे थे

पूर्व विधायक अलाउद्दीन आजाद ने बताया कि रैली खत्म होने के बाद एक स्कूल के बड़े मैदान में जनसभा हुई। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में हर मजहब के लोग इकट्‌ठा हुए। इसमें दिलीप कुमार साहब का भाषण हुआ। जिसमें उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ईश्वर कभी भी अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करता है। उसने कभी भी प्राणी को बनाने में भेदभाव नहीं किया। सबको दो आंख, दो हाथ, दो पैर और दिमाग दिया।

दिलीप कुमार ने कहा कि सूरज और चांद ने कभी भी रोशनी देने में हिंदू मुस्लिम नहीं देखा। कभी जाति धर्म देखकर प्रकाश नहीं दिया। वो सबको समान रूप से रोशनी देते हैं। नदियां सबको समान रूप से पानी देती है। पेड़-पौधे सभी के लिए छांव और फल देते हैं। इसको देने में धर्म और मजहब नहीं देखते हैं। इस तरह दिलीप साहब का यादगार भाषण था। उनकी बातों को सुनकर लोगों की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद शास्त्री नगर में शांति बहाल हो गई और दिलीप साहब एक दिन जयपुर में ठहर कर मुंबई लौट गए।

कई बार राजस्थान आए दिलीप कुमार

जोधपुर में तीन दिन रहे थे दिलीप कुमार।

जोधपुर में तीन दिन रहे थे दिलीप कुमार।

जोधपुर में मनाई थी अपनी 75वीं वर्षगांठ
जोधपुर फिल्म सिटी ने दिलीप कुमार की 75वीं वर्षगांठ पर 1993 में दिलीप कुमार फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया था। उस समय इस आयोजन का इनॉगरेशन करने दिलीप कुमार के साथ सायरा बान आई थीं। इस दौरान अशोक गहलोत भी मौजूद थे। इस फिल्म फेस्टिवल में दिलीप कुमार की मुगल ए आजम, मधुमती, देवदास जैसी 11 फिल्मों का शो किया गया था। पूरी खबर यहां क्लिक कर पढ़ें…

बाबू भाई घोसी के साथ दिलीप कुमार।

बाबू भाई घोसी के साथ दिलीप कुमार।

अजमेर दरगाह भी आए थे दिलीप कुमार
अजमेर में शूटिंग अरेंजमेंट करने वाले बाबू भाई घोसी ने बताया कि पूर्व चिकित्सा मंत्री एतमाद उद्दीन खान दुरु मियां के साथ दिलीप कुमार हैदराबाद निवासी दूसरी पत्नी के साथ दरगाह जियारत को आए थे। प्रशंसकों की भीड़ ना हो इसके लिए यह व्यवस्था की गई थी कि उन्हें शाम को जियारत कराई जाएगी, लेकिन प्रशंसकों को दिलीप कुमार के आने की खबर लग चुकी थी। नतीजा दिलीप कुमार के आने से पहले ही प्रशंसकों का जमावड़ा दरगाह और दरगाह बाजार में लग चुका था। पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। दिलीप कुमार जब पहुंचे तो भीड़ काफी थी। बमुश्किल उन्हें जियारत के लिए ले जाया गया। पूरी खबर यहां क्लिक कर पढ़ें…

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