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3,269 करोड़ का घोटाला:शक्तिभोग के चेयरमैन को ED ने किया गिरफ्तार, मनी लांड्रिंग का आरोप

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  • Kewal Krishan Kumar | Shakti Bhog Chairman Kewal Krishan Kumar Arrested By Enforcement Directorate (ED) In Bank Fraud Case

मुंबई17 घंटे पहले

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  • दिल्ली, हरियाणा सहित 9 स्थानों पर छापामारी भी की गई थी

प्रसिद्ध आटा शक्तिभोग को बनाने वाली कंपनी शक्तिभोग फूड्स लिमिटेड के चेयरमैन केवल कृष्णा कुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी मनी लांड्रिंग के आरोपों में हुई है।

बैंक के लोन फ्रॉड में शामिल थे

जानकारी के मुताबिक, केवल कुमार करोड़ रुपयों के बैंक लोन फ्रॉड के मामले में शामिल थे। उन्हें रविवार की देर रात गिरफ्तार किया गया। उन्हें स्पेशल मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कोर्ट ने 9 जुलाई तक ED की कस्टडी में भेज दिया है। गिरफ्तारी से पहले ED ने केवल कुमार के दिल्ली और हरियाणा सहित कुल 9 स्थानों पर छापेमारी की थी।

CBI में दर्ज कराई गई थी शिकायत

ED ने बताया कि उसने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) की प्रथम रिपोर्ट (FIR) के आधार पर इस साल की शुरुआत में शक्तिभोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट की रोकथाम (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि 3,269 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया है। यह पैसा 10 बैंकों ने मिलकर लोन दिया था। इसमें देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) लीड बैंक था।

नकली कागज देकर लिया लोन

दरअसल एसबीआई ने CBI के पास केस दर्ज कराया था। एसबीआई ने कहा कि कंपनी के डायरेक्टर्स ने नकली डॉक्यूमेंट गलत तरीके से बनाकर लोन के लिए दिया था। उन्होंने अकाउंट में भी हेराफेरी की थी। 24 साल पुरानी कंपनी गेहूं के ऑटा, चावल, बिस्कुट, कुकीज आदि की बिक्री करती है। यह कुछ साल बाद कई सेक्टर में प्रवेश किया और इसका टर्नओवर भी 1,411 करोड़ रुपए 2008 में हो गया था। 2014 में यह 6 हजार करोड़ रुपए की कंपनी बन गई थी।

बैंकों का लोन एनपीए हो गया

हालांकि 2015 में बैंको का लोन एनपीए हो गया, यानी कंपनी चुकाने में फेल रही। इसे 2019 में एनपीए घोषित किया गया। ED ने कहा कि लोन अकाउंट के जरिए कंपनी पर पैसों के गबन का आरोप लगा था। यह पैसा राउंड ट्रिपिंग किया गया और इसके लिए संबंधित कंपनियों का उपयोग किया गया। कंपनी ने कहा कि धान की कीमत घटने से इसको नुकसान हुआ। साथ ही चावल और धान के सेगमेंट में इसने निवेश किया। बैंकों ने जब कंपनी की फॉरेंसिक ऑडिट कराई तो पता चला कि इसकी 3 हजार करो़ड़ रुपए के सामानों की इनवेंटरी खराब हो गई। बाद में इसे कम भाव पर बेच दिया गया।

हालांकि यह भी जांच में पता चला कि सितंबर 2015 में इसके पास 3,500 करोड़ रुपए की इनवेंटरी थी। इसके वेयरहाउस पूरी तरह से भरे थे। इसमें कोई भी सामान खराब नहीं थी।

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