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साढ़े तीन साल बाद अपने गांव पहुंचे महामहिम:राष्ट्रपति कोविंद ने गांव की मिट्‌टी को नमन किया, दोस्तों को याद कर भावुक हुए; 7 पॉइंट्स पर फोकस रहा 47 मिनट का पूरा भाषण

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कानपुर2 घंटे पहले

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परौंख स्थित अपने पैतृक आवास की छत से ग्रामीणों का अभिवादन स्वीकार करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। - Dainik Bhaskar

परौंख स्थित अपने पैतृक आवास की छत से ग्रामीणों का अभिवादन स्वीकार करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।

राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद रविवार को पहली बार कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख और पुखरांया पहुंचे। इसके पहले जून 2017 में आए थे जब वह बिहार के राज्यपाल थे। पहला कार्यक्रम उनके पैतृक गांव परौंख में हुआ। यहां हेलीपैड पर उतरते ही उन्होंने गांव की मिट्‌टी को नमन किया। इसके बाद दो जगह अभिनंदन समारोह को संबोधित किया।

47 मिनट तक भाषण दिया। इसकी शुरुआत अपनी मातृभूमि परौंख से जुड़ी यादों को ताजा करके की। बचपन के दोस्तों का नाम लिया और भावुक हो गए। मानों राष्ट्रपति वापस अपने बचपन में खो गए हों। यहां से वह पुखरायां पहुंचे। इन 47 मिनट में राष्ट्र्रपति मातृभूमि, संस्कृति, सेना, स्वतंत्रता सेनानी, कोरोना और टीकाकरण को लेकर कई बातें कीं।

1. मातृभूमि ने मुझे सर्वोच्च पद पर बैठाया

परौंख में हेलीपैड पर उतरते ही राष्ट्रपति ने गांव की धरती को नमन किया।

परौंख में हेलीपैड पर उतरते ही राष्ट्रपति ने गांव की धरती को नमन किया।

राष्ट्रपति बोले, ‘मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह करके दिखा दिया।’

आगे उन्होंने कहा, ‘मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें सदैव मेरे दिल में रहती है। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की हमेशा प्रेरणा मिलती रही।’

2. दोस्तों के साथ मिलकर सपना देखा था

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने दौरे के दौरान अपने बचपन के दोस्त केके अग्रवाल से मुलाकात की।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने दौरे के दौरान अपने बचपन के दोस्त केके अग्रवाल से मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने अपने दोस्तों को याद किया। बचपन के एक-एक दोस्त का नाम लेते हुए राष्ट्रपति भावुक हो गए। बोले, मैंने जसवंत सिंह, विजयपाल सिंह, स्व. हरिपाल, चंद्रभान सिंह भदौरिया, राजाराम और दशरथ समेत अन्य सहपाठियों के साथ पढ़ाई की शुरुआत गांव से की थी। सभी दोस्तों का मुझे खूब स्नेह मिला। हम लोगों ने एक साथ ही भविष्य के सपने देखे और एक-दूसरे की मदद की थी। इसके साथ ही कहा कि इसमें कुछ लोग दिवंगत हो गए हैं, उनकी स्मृतियों को नमन। राष्ट्रपति ने बचपन की यादों को ताजा किया। बताया कि दोस्त जसवंत सिंह के भाई बजरंग सिंह ने आज से 40 साल पहले गांव में राजनैतिक चेतना जगाने का काम किया था। उस दौरान वह राममनोहर लोहिया को गांव लेकर आए थे। वह बहुत बड़ी बात थी।

आगे उन्होंने कहा, गांव के धन सिंह भदौरिया ने गांव में अध्यात्मिक चेतना जगाए रखी। गांव के सूबेदार सिंह, कैलाशनाथ बाजपेई, रामचंद्र शुक्ला, मोतीलाल गुप्ता, मास्टर राजकिशोर सिंह, महेश सिंह, भोले सिंह ने गांव में संस्कृति, शिक्षा, आपसी भाई चारे और कर्तव्यों की चेतना को जगाए रखा। ये वाकई में हम सभी के लिए बड़ी बात थी।

3. गांवों में बड़ों का सम्मान करना संस्कृति का हिस्सा

परौंख पहुंचे राष्ट्रपति ने परौंख स्थित कुल देवी पथरी देवी के दर्शन किए। मंदिर में 11 हजार रुपए दान भी दिया।

परौंख पहुंचे राष्ट्रपति ने परौंख स्थित कुल देवी पथरी देवी के दर्शन किए। मंदिर में 11 हजार रुपए दान भी दिया।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है।’

4. देश के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम योगदान दिया
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा, ‘आज इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।’

राष्ट्रपति ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति ने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

5. मुझे गांव के फौजी आज भी याद हैं
राष्ट्रपति कोविंद ने सेना के जवानों को भी याद किया। कहा, ‘आज मैं भले ही तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर हूं, लेकिन मुझे गांव के फौजी आज भी याद हैं। जयवीर सिंह भदौरिया और गोरेनाथ सिंह आज भी मुझे याद हैं। मैं गांव की उन स्मृतियों को कभी भुला नहीं सकता हूं।’

6. कोरोना पर भी खुलकर बोले
राष्ट्रपति ने कहा, ‘आज पूरी मानवता एक अदृश्य वायरस द्वारा फैलाई गई वैश्विक महामारी के प्रकोप से जूझ रही है। कई पीढ़ियों बाद आई ऐसी आकस्मिक आपदा ने सभी देशों को झकझोर कर रख दिया। बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने अपने परिवार-जन, प्रिय-जन और मित्रों को खोया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें तथा कोरोना योद्धा इस महामारी का सामना करने के हर संभव प्रयास करते रहे हैं। इस महामारी से मुक्ति पाने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है सावधानी बरतना और सुझावों को अमल में लाना।

परौंख पहुंचने के बाद लोगों का अभिवादन स्वीकार करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।

परौंख पहुंचने के बाद लोगों का अभिवादन स्वीकार करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।

7. सब लोग टीका जरूर लगवाएं
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘इस महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए टीकाकरण के अभियान आयोजित किए जा रहे हैं। टीकाकरण के विस्तार और रफ्तार में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस प्रयास में आप सब भी अपनी उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं। आप सबकी ज़िम्मेदारी है कि न केवल आप स्वयं जल्दी से जल्दी टीका लगवाएं बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करें और उनका टीकाकरण सुनिश्चित करें। ऐसा करके आप एक जागरूक नागरिक के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।’

मुख्यमंत्री ने किया सैल्यूट

राष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं।

राष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सैल्यूट किया। कहा, राष्ट्रपति ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के लिए राज्य सरकार को दान कर दिया। अपने जीवन भर की कमाई से गांव के झलकारी बाई इंटर कॉलेज की स्थापना की और उसे भी राज्य सरकार को दान कर दिया। राष्ट्रपति की ही देन है कि परौंख आज देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहा है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘गांव के लोगों को भी राष्ट्रपति और उनके परिवार के प्रति अगाध प्रेम है। गांव के लोगों ने ही उनके पिता की स्मृति में गांव के पथरी देवी मंदिर को विकसित किया। जिसकी नींव उन्होंने कई साल पहले रखी थी।’ मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी कहा कि यूपी के वाराणसी लोकसभा से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति कानपुर देहात के परौंख गांव से हैं। यूपी के दोनों लोग देश को नई दिशा दे रहे हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

राष्ट्रपति के काफिले पर फूलों की बारिश
महामहिम का काफिला जब मंदिर से उनके पुश्तैनी घर पहुंचा तब स्थानीय लोगों ने फूलों की बारिश करके उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की गाड़ियों पर भी पुष्पवर्षा की। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इसका जिक्र भी किया। कहा, जब गांव के लोग पुष्पवर्षा कर रहे थे तो राजपाल आनंदीबेन पटेल अचंभित रह गई, आनंदीबेन पटेल ने उनसे कहा कि यह मैंने पहली बार देखा है कि गांव वाले आपसे इतना प्यार करते है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिनंदन समारोह को भी संबोधित किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिनंदन समारोह को भी संबोधित किया।

कब, कितने बजे और कहां हुआ कार्यक्रम ?
8:35 बजे- सिविल एयरोड्रम कानपुर से राष्ट्रपति हेलीकॉप्टर से रवाना हुए।
9:05 बजे- परौंख कानपुर देहात पहुंचा राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर।
9:05 से 9:15 बजे- आरक्षित समय
9:25 बजे- राष्ट्रपति परौंख के पथरी देवी मंदिर पहुंचे।
9:40 बजे- अंबेडकर भवन पहुंचे।
9:50 बजे – अपने पैतृक आवास पर बने मिलन केंद्र पहुंचे।
10:10 बजे- झलकारी बाई इंटर कॉलेज पहुंचे।
10:30 से 11:30 बजे तक- जन अभिनंदन समारोह में शामिल हुए।
12:05 बजे- परौंख से पुखरायां के लिए प्रस्थान किया।
12:25 बजे- रामस्वरूप ग्रामोद्योग इंटर कॉलेज पुखरायां पहुंचे।
12:35 बजे- रामस्वरूप ग्रामोद्योग इंटर कॉलेज से सरदार पटेल प्रतिमा स्थल के लिए निकले।
12:40 बजे- सरदार पटेल प्रतिमा स्थल पहुंचे।
12:40 से 12:50 बजे- सरदार पटेल प्रतिमा पर पुष्पांजलि कार्यक्रम।
2:15 बजे- लंच का समय
2:30 से 3:15 बजे- पुखरायां में जन अभिनंदन समारोह में शामिल हुए।
3:25 बजे- अपने दोस्त सतीश मिश्रा से मिलने राजेंद्र नगर मेन रोड निकट बस स्टॉप पहुंचे।
3:35 बजे- रामस्वरूप ग्रामोद्योग कॉलेज पुखरायां पर बने हेलीपैड से कानपुर के लिए रवाना हुए।

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