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वैक्सीनेशन से ही हारेगा कोरोना: 20% आबादी को वैक्सीन लगने के बाद कोरोना की नई लहर आने का खतरा न के बराबर; अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और फ्रांस में ऐसा ही हुआ

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Hindi NewsLocalDelhi ncrSimilar Trend In Major Countries Where More Than 20% Of The Population Got A Single Dose, The Next Wave Did Not Come

नई दिल्ली18 मिनट पहले

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दुनियाभर में वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। ज्यादातर देश अपने नागरिकों का वैक्सीनेशन मुफ्त में कर रहे हैं। अमेरिका में वैक्सीनेशन करवाने वाले लोगों को लॉटरी निकालकर इनाम दिए जा रहे हैं। साथ में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए फ्री बीयर भी पिलाई जा रही है।

ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि वैक्सीनेशन को कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। दुनियाभर का ट्रेंड देखें तो साफ होता है कि जिन देशों में 20% से ज्यादा आबादी को टीका लग चुका और अब भी टीकाकरण जारी है, वहां संक्रमण की अगली लहर नहीं आई। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस इसके उदाहरण हैं।

ट्रेंड के हिसाब से तीसरी लहर का खतरा कमविशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने टीकाकरण के लिहाज से अहम पड़ाव पार कर लिया है। देश के 25.98 करोड़ (20.95%) लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है। इनमें से 5.52 करोड़ (4.45%) को दोनों डोज लग चुकी हैं। अब संक्रमण की अगली लहर आने से पहले 70% आबादी को टीके की कम से कम एक डोज जरूरी है। हालांकि, देश के अलग-अलग महामारी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि तीसरी लहर अक्टूबर तक आ सकती है।

देश में 4 दिनों के अंदर लगे 4 करोड़ टीकेदेश में अब तक 31 करोड़ से ज्यादा टीके इस्तेमाल हो चुके हैं। जुलाई, अगस्त और सितंबर में 65 करोड़ टीके और तैयार होंगे। यानी, कुल 96 करोड़ टीके अक्टूबर से पहले इस्तेमाल हो सकते हैं।

देश में करीब 85 करोड़ लोग 18 साल से ऊपर के हैं। इसलिए, संभव है कि अक्टूबर से पहले 18+ के सभी लोग कवर न हों। लेकिन, 70% आबादी को सिंगल डोज संभव है। भारत में टीकाकरण ने अब रफ्तार पकड़ ली है। पिछले सिर्फ छह दिन में 4 करोड़ टीके लगे हैं, इतने पहले एक महीने में लगे थे।

4 देशों के ट्रेंड से समझिए वैक्सीनेशन क्यों जरूरी

1. अमेरिका: हर 3 महीने बाद संक्रमण की लहर आ रही थी। 20% आबादी को सिंगल डोज लगने के बाद अब 5 महीने हो गए। इसके बाद कोई लहर नहीं आई।2. ब्रिटेन: हर 3 महीने में संक्रमण की लहर आती रही है। 20% टीकाकरण के बाद नए केस गिरने शुरू हुए। तब 65 हजार केस आ रहे थे, अब 10 हजार केस आ रहे हैं।3. इटली: दूसरी लहर 3 महीने, तीसरी लहर 4 महीने बाद आई। 20% टीकाकरण के बाद 3 महीने हो गए। केस घट रहे हैं। देश अगले महीने से मास्क फ्री हो सकता है।4. फ्रांस: हर 3 महीने बाद संक्रमण की लहर आईं। फरवरी में 20% टीकाकरण पूरा हुआ, उसके बाद 4 महीने हो गए, अब तक नई लहर ने दस्तक नहीं दी है।

फिर भी सतर्क रहने की जरूरत4 देशों के रिजल्ट सकारात्मक हैं, लेकिन ब्राजील के ट्रेंड ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है। यहां 30% आबादी को पहली डोज लगने के बाद भी चौथी लहर बरकरार है। विशेषज्ञ कह रहे हैं ब्राजील में संक्रमण की लहर पहले से जारी थी, इसलिए टीकाकरण का असर अभी नहीं दिखा।

दूसरा कारण यह भी कि वहां चीनी वैक्सीन लग रही है, जो कारगर साबित नहीं हुई। फिर भी विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई के मध्य तक वहां भी केस गिरने शुरू हो जाएंगे।

नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य प्रो. के. श्रीनाथ रेड्‌डी का व्यू

20% आबादी को कम से कम एक डोज लगी, इसके क्या मायने?

एक डोज लगने के बाद कम से कम तीन महीने तक के लिए संक्रमण से 50% तक बचाव होता है। संक्रमण हो भी जाए तो अस्पताल जाने की आशंका कम है। इसलिए, टीके से संक्रमण का फैलाव रोकने के साथ ही संक्रमित हो चुके लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

वैक्सीन की एक डोज संक्रमण रोकने में कितनी कारगर?

डेल्टा वैरिएंट पर 50% कारगर है। डेल्टा प्लस वैरिएंट पर अभी कोई अध्ययन पूरा नहीं हुआ है, इसलिए इस पर टिप्पणी मुश्किल है। इसके अलावा भारत में जितने भी स्ट्रेन और वैरिएंट हैं, उनसे बचने के लिए देश में लग रहीं तीनों वैक्सीन की दोनों डोज 80% से ज्यादा प्रभावी हैं।

एक डोज के बाद अगर संक्रमण हो तो मरीज के अस्पताल जाने की आशंका कितनी?

करीब 70% संभावना कम हो जाती है। यही नहीं, गंभीर बीमारी वाले लोगों को संक्रमित होने के बाद जान का जोखिम भी काफी हद तक घट जाता है। इसलिए, वैक्सीन जान बचाने में सक्षम है।

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