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पौधे भी तनाव से जूझते हैं:इजरायली वैज्ञानिकों ने बताया, कैसे तनाव में रहने वाले पौधे रोशनी बिखेरते हैं, आलू के पौधे पर प्रयोग करके समझाया; जानिए ऐसा होता क्यों है

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8 घंटे पहले

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इजरायल वैज्ञानिकों ने आलू के पेड़ में इस तरह के बदलाव किए हैं कि यह तनाव में होने पर रोशनी बिखेरता है। पेड़ कैसा महसूस करते हैं अब तक इनके हाव-भाव से समझना मुश्किल था। नतीजा, ये डैमेज हो जाते थे। यरुसलम की हेब्रयू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, अब पौधों की जरूरत को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।

पेड़ तनाव में कब होते हैं?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पेड़ भी तनाव से जूझते हैं। जब इनमें पानी की कमी होती है, ठंड जरूरत से ज्यादा पड़ती है, सूरज की रोशनी नहीं मिलती है या तेज धूप पड़ती है तो ये तनाव में चले जाते हैं। अमूमन इनके तनाव के लक्षण इंसान समझ नहीं पाते हैं। इसलिए लगातार इन स्थितियों को झेलते हुए ये खत्म होने लगते हैं।

ऐसे तैयार किया पौधा
शोधकर्ता डॉ. शिलो रोसेनवासेर और उनकी टीम ने तनाव को समझने के लिए आलू के पौधे में जेनेटिकली बदलाव किया। पौधे के क्लोरोप्लास्ट में एक नए जीन को डाला। पौधे के तनाव में होने पर नया जीन इसमें खास तरह के प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है जो तनाव को कम करता है। इसी प्रोटीन की मात्रा बढ़ने पर पौधे रोशनी बिखेरते हैं और पता चल जाता है कि यह तनाव में है। वैज्ञानिकों ने इन पौधों को एक कैमरे से कनेक्ट किया गया। जब भी पौधा पानी की कमी, तेज धूप का सामना करता है तो यह रोशनी बिखेरता है।

इसलिए आलू पर किया प्रयोग
इजरायली वैज्ञानिकों ने आलू को ही इस प्रयोग के लिए चुना है क्योंकि यह यहां की प्रमुख फसल है। वार्षिक फसल का करीब 40 फीसदी आलू इजरायल दुनियाभर में एक्सपोर्ट करता है। बायोसेंसर की मदद से आलू की फसल को डैमेज होने से पहले ही कंट्रोल किया जा सकेगा और इसकी खेती का दायरा बढ़ाया जा सकेगा। साथ ही इन पौधों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने लायक बनाया जा सकेगा।

कैमरे से ही देख सकते हैं पौधों का तनाव
शोधकर्ता डॉ. शिलो का कहना है, पौधों के रंग बदलने की प्रक्रिया को आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इसलिए इसे खास तरह के कैमरे से जोड़ा गया है, जिसकी मदद से इसे देखा जा सकता है।

अब हम बायोसेंसर की मदद से पौधों के सिग्नल को समझने में समर्थ हैं। ये उच्च तापमान, सूखे और धूप से जूझ रहे हैं या नहीं, यह पता लगाया जा सकता है।

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