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17 घंटे पहले
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डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो इसका असर किडनी पर पड़ सकता है। धीरे-धीरे किडनी अपना काम करना बंद कम कर सकती है। डिप्रेशन से जूझने वाले युवाओं पर हुई रिसर्च में यह परिणाम सामने आए हैं। यह दावा चीन की साउदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का दावा है, डिप्रेशन का कनेक्शन भी किडनी की घटती कार्यक्षमता से भी है।
4,763 लोगों पर हुई रिसर्चडिप्रेशन और किडनी के बीच कनेक्शन को समझने के लिए चीनी शोधकर्ताओं ने 4,763 लोगों पर रिसर्च की। रिसर्च में शामिल 39 फीसदी लोग अध्ययन की शुरुआत से ही डिप्रेशन से जूझ रहे थे। रिसर्च के दौरान अगले 4 साल तक इनका हेल्थ चेकअप किया गया। रिपोर्ट में सामने आया कि इनमें से 6 फीसदी लोगों में किडनी के काम करने की क्षमता तेजी से घटती हुई पाई गई।
शोधकर्ता डॉ. किन का कहना है, क्रॉनिक किडनी डिजीज हृदय रोग और किडनी फेल होने का खतरा बढ़ाती है। इसलिए किडनी की सेहत को बिगाड़ने वाले कारणों को समझना जरूरी है, ताकि उसे कम किया जा सके।
आज डिप्रेशन-एंग्जायटी को हराना सबसे जरूरी क्यों?
देश का हाल : द लैंसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2017 तक 19.73 करोड़ लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे। ये आंकड़ा कुल आबादी का कुल आबादी का 15% है। यानी, हर 7 में से 1 भारतीय बीमार है। इनमें से भी 4.57 करोड़ डिप्रेशन और 4.49 करोड़ एंजाइटी का शिकार हैं।
दुनिया की तस्वीर : डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में आत्महत्या की दूसरी सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन ही है।
मेंटल हेल्थ के मामले में हम रूस को पीछे छोड़ देंगे
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में हर साल एक लाख की आबादी पर 16 लोग मानसिक बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या कर लेते हैं। इस मामले में भारत, रूस के बाद दूसरे नंबर पर है। रूस में हर 1 लाख लोगों में से 26 लोग सुसाइड करते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से लेकर 2018 के बीच 52 हजार 526 लोगों ने मानसिक बीमारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
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