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महाराष्ट्र: आरएसएस ने कहा, बंगाल में हुई हिंसा पूर्व नियोजित, केंद्र उठाए उचित कदम

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अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 08 May 2021 02:57 AM IST

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले
– फोटो : अमर उजाला

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा की निंदा की है। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उन्मुक्त होकर अनियंत्रित तरीके से हुई हिंसा न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। उन्होंने केंद्र और बंगाल सरकार से यह आग्रह किया है कि वह राज्य में कानून और शांति का शासन सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि समाज की विघटनकारी शक्तियों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया। निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्याएं की। घरों को जलाया, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को लूटा। हिंसा के चलते अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समेत हजारों लोग अपनी जान और सम्मान की रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हुए। कूच बिहार से लेकर सुंदरवन तक लोगों में भय का वातावरण है।

संघ ने कहा, सबसे दुखद पहलू प्रशासन का मूकदर्शक बने रहनासंघ ने कहा कि इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पहलू यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूकदर्शक की ही दिखाई दे रही है। संघ इस वीभत्स हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है। हमारा मत है कि चुनाव परिणामों के बाद बंगाल में अनियंत्रित रूप से चल रही हिंसा भारत के सह अस्तित्व और संविधान में अंकित जन और लोकतंत्र की मूल भावना के भी विपरीत है।

शासन-व्यवस्था कोई हो, शांति का वातावरण बनाएंआरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा, शासन व्यवस्था कोई भी हो और किसी भी दल की हो, उसका सबसे पहला दायित्व समाज में कानून-व्यवस्था के द्वारा शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाना, अपराधी और समाजविरोधी तत्वों के मन में शासन का भय पैदा करना और हिंसा करने वालों को दंड सुनिश्चित करना होता है। चुनाव दल जीतते हैं, लेकिन निर्वाचित सरकार पूरे समाज के प्रति जवाबदेह होती है।

ऐसे में हम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार से आग्रह करते है कि शांति कायम करने के लिए हरसंभव कदम उठाएं और इस दिशा में उचित कार्रवाई करें। आरएसएस समाज के प्रबुद्धजनों, समाजिक-धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व का भी आह्वान करता है कि इस कठिन घड़ी में वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े होकर उनमें विश्वास का वातावरण बनाएं। हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए शांति और सद्भाव का वातावरण बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा की निंदा की है। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उन्मुक्त होकर अनियंत्रित तरीके से हुई हिंसा न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। उन्होंने केंद्र और बंगाल सरकार से यह आग्रह किया है कि वह राज्य में कानून और शांति का शासन सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि समाज की विघटनकारी शक्तियों ने महिलाओं के साथ घृणास्पद बर्बर व्यवहार किया। निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्याएं की। घरों को जलाया, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को लूटा। हिंसा के चलते अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समेत हजारों लोग अपनी जान और सम्मान की रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हुए। कूच बिहार से लेकर सुंदरवन तक लोगों में भय का वातावरण है।

संघ ने कहा, सबसे दुखद पहलू प्रशासन का मूकदर्शक बने रहना
संघ ने कहा कि इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पहलू यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूकदर्शक की ही दिखाई दे रही है। संघ इस वीभत्स हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करता है। हमारा मत है कि चुनाव परिणामों के बाद बंगाल में अनियंत्रित रूप से चल रही हिंसा भारत के सह अस्तित्व और संविधान में अंकित जन और लोकतंत्र की मूल भावना के भी विपरीत है।

शासन-व्यवस्था कोई हो, शांति का वातावरण बनाएं
आरएसएस के सरकार्यवाह ने कहा, शासन व्यवस्था कोई भी हो और किसी भी दल की हो, उसका सबसे पहला दायित्व समाज में कानून-व्यवस्था के द्वारा शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाना, अपराधी और समाजविरोधी तत्वों के मन में शासन का भय पैदा करना और हिंसा करने वालों को दंड सुनिश्चित करना होता है। चुनाव दल जीतते हैं, लेकिन निर्वाचित सरकार पूरे समाज के प्रति जवाबदेह होती है।

ऐसे में हम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार से आग्रह करते है कि शांति कायम करने के लिए हरसंभव कदम उठाएं और इस दिशा में उचित कार्रवाई करें। आरएसएस समाज के प्रबुद्धजनों, समाजिक-धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व का भी आह्वान करता है कि इस कठिन घड़ी में वे पीड़ित परिवार के साथ खड़े होकर उनमें विश्वास का वातावरण बनाएं। हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए शांति और सद्भाव का वातावरण बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

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