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नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा
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वायु प्रदूषण में 40 से 50 फीसदी नुकसान उद्योगों से निकलने वाले धुएं की वजह से ही होता है।
वायु प्रदूषण की वजह से देश के कारोबार जगत को सालाना 7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है, जो देश की जीडीपी का करीब 3% है। उद्योग जगत ने इस पर चिंता जताते हुए शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कुल वायु प्रदूषण में 40 से 50 फीसदी नुकसान इन्हीं उद्योगों से निकलने वाले धुएं की वजह से ही होता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट के निवित कुमार यादव का कहना है कि कुल वायु प्रदूषण में 20-30% योगदान उद्योगों से निकलने वाले धुंए का है।
यदि कोयले से चलने वाले पावर प्लांट का प्रदूषण में 20 फीसदी योगदान इसमें जोड़ दिया जाए, तो यह 40-50 फीसदी होता है। वहीं डलबर्ग एडवाइजर्स व भारतीय उद्योग परिसंघ की क्लीन एयर फंड रिपोर्ट कहती है कि कोविड ने देश के कारोबार को जितना नुकसान पहुंचाया है, वायु प्रदूषण उसका 43% सालाना नुकसान पहुंचाता है। रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो 2030 तक आर्थिक नुकसान का आंकड़ा दोगुना हो जाएगा।
इस साल 1.5 अरब टन कार्बन उत्सर्जन, यह इतिहास की दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि
कोरोनाकाल में दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन में कमी आई थी। तेल, गैस और कोयले की कम मांग के कारण पर्यावरणविदों ने आशा व्यक्त की थी कम उत्सर्जन से पर्यावरण सुधरेगा। लेकिन, दुनिया की अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहे सुधार के चलते इस साल दुनिया में कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन खतरनाक स्तर पर पहुंचने की आशंका है।
इसकी बड़ी वजह एशिया और खासतौर पर चीन में कोयले का भारी इस्तेमाल माना जा रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने हाल में जारी रिपोर्ट में 2021 में ऊर्जा खपत से 1.5 अरब टन कार्बन उत्सर्जन की आशंका जताई है। कोरोना महामारी से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था हमारी जलवायु के लिए बिल्कुल टिकाऊ नहीं है। अगर सरकारें कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं करेंगी, तो 2022 में हमें ज्यादा खराब स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
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