April 26, 2024 : 11:36 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

क्या है कोविडसोम्निया: कोरोना के कारण 40% लोगों में बढ़ी नींद न आने की समस्या, जानिए वो 4 तरीके जो आपको नींद पूरी करने में मदद करेंगे

[ad_1]

Hindi NewsHappylifeCoronavirus COVID Somnia And Sleep Connection; How To Deal? All You Need To Know In Hindi

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

25 मिनट पहले

कॉपी लिंक

कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से दुनियाभर में लोग महसूस कर रहे हैं कि वे ढंग से सो नहीं पा रहे। रॉयल फिलिप नाम की एक संस्था ने 13 देशों में नींद से जुड़ा एक सर्वे किया गया है। सर्वे में 37% लोगों ने माना है कि महामारी ने उनकी नींद पर बुरा असर डाला है।

सर्वे में शामिल 70% युवाओं ने कहा कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद उन्हें नींद से जुड़ी एक या उससे अधिक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं में इस तरह की समस्या और ज्यादा देखी गई है।

दुनिया भर के स्लीप न्यूरोलॉजिस्ट ने इसे ‘कोविडसोम्निया’ नाम दिया है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मुताबिक, इसके पीछे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, फैमिली मेम्बर्स और करीबियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता है। सीनियर साइकियाट्रिस्ट डॉ. विजय बोधले से जानिए, कैसे नींद की समस्या से निपटा जाए…

कोविडसोम्निया का कारण क्या है?कोरोना के कारण तनाव बढ़ रहा है। इसी तनाव के चलते लोग इंसोम्निया (नींद न आना या टूट जाना) के शिकार हो रहे हैं। अगस्त, 2020 में ब्रिटेन के साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च कहती है कि लॉकडाउन के दौरान चीन में इंसोम्निया की दर 14.6 से 20% तक बढ़ गई। इटली और ग्रीस में यह दर 40% तक पाई गई।

कौन से लक्षण अलर्ट करते हैं?नींद न आना या बार-बार टूटना। दिन के वक्त थकान महसूस होना या नींद आना। सोते वक्त बार-बार उठना। या देर से सोने के बाद भी जल्दी नींद खुल जाना जैसे लक्षण कोविडसोम्निया के हैं।

इस समस्या से ऐसे निपटें

दूसरा तरीका- दोपहर में कैफीन न लें: दोपहर 2 बजे के बाद चाय, कॉफी कम पिएं। नींद की गहरी अवस्था, जिसमें रैपिड आई मूवमेंट होता है उसे कैफीन प्रभावित करती है।तीसरा तरीका- सोने से पहले मोबाइल से बचें: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर की ब्लू स्क्रीन हार्मोन मेलाटोनिन की मात्रा को कम करती है। पलकों का झपकना भी कम होता है।चौथा तरीका- कमरे का तापमान: नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, बेडरूम का तापमान 16-19 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। यह नींद लाने में मदद करता है।

नींद न आने से सेहत पर असर

हार्ट अटैक का खतरा: सीडीसी के मुताबिक, नींद पूरी न होने पर ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है। ब्लड प्रेशर की यही बढ़ोतरी ही हृदय रोगों की बड़ी वजह है।मोटापा: लेप्टिन और घ्रेलिन दो ऐसे हार्मोन हैं जो भूख को नियंत्रित करते हैं। नींद पूरी न होने पर हार्मोन्स का संतुलन इस तरह बिगड़ता है कि भूख ज्यादा लगती है।टाइप-2 डायबिटीज: डायबिटीज/मेटाबॉलिज्म रिसर्च एंड रिव्यू के मुताबिक, अनिद्रा की स्थिति में शरीर लगातार तनाव में रहता है। तनाव डायबिटीज का बड़ा कारण है।खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Related posts

समय के साथ गंभीर होती जाती है सीकेडी की बीमारी, जाने इसके कारण और बचाव के तरीकें

News Blast

इस हफ्ते 2 अशुभ योग बनने से बढ़ सकती हैं 6 राशि वालों की मुश्किलें

News Blast

एक बच्चे ने कैसे दी परदेस एक्ट्रेस को लड़ने की ताकत?

News Blast

टिप्पणी दें