May 4, 2024 : 4:50 AM
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एंटीलिया केस: किसके गले का फंदा बनेगा ये हाई-प्रोफाइल केस, मुंबई एटीएस से जांच छीनकर एनआईए को सौंपने की कहानी

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रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी मिली लावारिस स्कॉर्पियो कार के मामले में जांच एजेंसियों को गहरी साजिश नजर आ रही है। बाद में स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। ऐसे में इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए। पहले मुंबई पुलिस को मामले की जांच सौंपी गई, उसके बाद यह केस एटीएस के सुपुर्द कर दिया गया।

भाजपा नेता आशीष शेल्लार ने इस केस में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मनसुख हिरेन के शव के पोस्टमार्टम के दौरान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मौजूद था। उन्होंने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वजे और मनसुख हिरेन पर भी गंभीर आरोप जड़ दिया। कहा, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और मनसुख हिरेन के बीच में बातचीत होती थी। पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने इस मामले को लेकर कहा, दाल में काला है। ‘एंटीलिया केस’ किसके गले का फंदा बनेगा, एनआईए जांच में पता चलेगा। खास बात यह है कि एनआईए जांच महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर हो रही है।

जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, इस केस में शुरू से ही कई पेंच फंस रहे हैं। अगर कोई केस हाई-प्रोफाइल है और पोस्टमार्टम के दौरान यदि वहां कोई ऐसा पुलिसकर्मी मौजूद है, जिसका संबंध इस केस से नहीं है तो शक होना लाजमी है। जब मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों से भरा वाहन मिला था, तो ही इस केस की जांच प्रोफेशनल तरीके से होनी चाहिए थी।

उस समय अगर जांच से जुड़े विभिन्न पहलुओं की तरफ ध्यान दिया जाता, तो मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत न होती। वही एक अहम गवाह था जो किसी न किसी तरह पुलिस को मुख्य आरोपी की टोह देने में मददगार साबित हो सकता था। वह मारा गया और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। अभी जिस तरीके बयान मीडिया में आ रहे हैं, उनमें यह भी है कि मनसुख हिरेन ने मुंबई पुलिस को बतौर गवाह अपने बयान में बताया था कि उनकी स्कॉर्पियो को चोरी कर उसका गलत इस्तेमाल किया गया है।

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले को एनआईए के हवाले करने के पक्ष में नहीं थी। हालांकि इसी केस में हीरेन मनसुख ने मौत से एक दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था। इसमें मनसुख ने पुलिस अधिकारियों और मीडिया कर्मियों द्वारा परेशान करने की बात कही थी। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों पर एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की है। यह हाई-प्रोफाइल मामला राजनीतिक तौर पर भी गर्मा गया था। शिवसेना के नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा था, यह केस महाराष्ट्र सरकार की छवि और प्रतिष्ठा से जुड़ा है।

पहले मुकेश अंबानी के घर के निकट विस्फोटकों से भरी कार का मिलना और उसके बाद ठाणे में मुंबई-रेती बंदर रोड पर नदी किनारे वाहन मालिक का शव बरामद होना, इससे खुद ब खुद यह केस हाई-प्रोफाइल बन जाता है। इस बात पर संदेह है कि मनसुख की मौत, एक आत्महत्या थी या हत्या। खैर जो भी हो, इस मामले में राजनीति न की जाए।

विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस केस की जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा, दाल में काला है, इसलिए मामले की जांच एनआईए से कराई जाए। पहले यह मामला मुंबई पुलिस के पास था, लेकिन जब मनसुख का शव मिला तो उसके बाद एटीएस को जांच सौंप दी गई। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस बात की घोषणा की थी। उससे पहले देशमुख ने कहा था कि वह कार हीरेन की नहीं थी। वह तो सैम म्यूटेब के नाम पर दर्ज है। बाद में वे इस बयान से भी पलट गए।

भाजपा नेता आशीष शेल्लार ने आरोप लगाया कि मनसुख का जब पोस्टमॉर्टम चल रहा था, तो वहां एनकाउंटर स्पेशलिस्ट क्यों मौजूद था। उक्त अधिकारी की मौजूदगी संदिग्ध रही है। वह अधिकारी अभी ठाणे पुलिस का सदस्य नहीं है। इतना ही नहीं, वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एटीएस में भी नहीं है। उसे किसने वहां भेजा था। इसके पीछे कौन लोग हैं। आखिर सरकार क्या कुछ छिपाना चाहती है। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इस केस पर चर्चा की।

सभी तरह के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर इस केस की जांच एनआईए को सौंप दी गई। एक अधिकारी के मुताबिक, इस केस में कुछ छिपाने का प्रयास किया गया है। दूसरा, ये हाई-प्रोफाइल केस था और जब विस्फोटक से भरी कार मिली तो उसी वक्त इसकी जांच एटीएस को क्यों नहीं सौंपी गई। राज्य सरकार इस मामले को एनआईए के हवाले करने से क्यों हिचक रही थी। मुख्य गवाह को न बचा पाना और पोस्टमार्टम में कथित हस्तक्षेप, ये सब ऐसे कारण थे, जिनके चलते गृह मंत्रालय को खुद यह जांच एनआईए को सौंपनी पड़ी।

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