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इस्लामाबाद27 मिनट पहले
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इमरान खान सरकार पाकिस्तान में मदरसों और मस्जिदों के संचालन में एक कानून के जरिए दखल देने की कोशिश कर रही है। इसके खिलाफ आंदोलन की तैयारी हो गई है। (फाइल)
विपक्षी दलों के गठनबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDM) के आंदोलन से पहले ही परेशान इमरान खान के लिए नई मुसीबत खड़ी हो रही है। देश की तमाम मस्जिदों और मदरसों के संचालकों ने सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने का फैसला किया है। मस्जिदों और मदरसों के संचालकों का संगठन इमरान सरकार के नए वक्फ कानून का विरोध कर रहा है। उसका आरोप है कि इस कानून के जरिए सरकार मस्जिदों और मदरसों पर कब्जा करना चाहती है।
उलेमा एकजुट हुए‘द डॉन’ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में मस्जिदों के उलेमाओं और मदरसा संचालकों के बीच बातचीत हुई। इसमें सरकार के नए कानून का विरोध किया गया। उलेमाओं का कहना है कि मजहबी मामलों में सरकार के दखलंदाजी वास्तव में इन पर कब्जे की साजिश है और इसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा।
नाराजगी का आलम यह है कि इन संगठनों ने एक नया मोर्चा तैयार करने का फैसला कर दिया है और सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत देश भर में रैलियां निकाली जाएंगी।
मौलाना जहूर को कमानसंगठनों ने मौलाना जहूर अहमद अल्वी को अपना नेता चुना है। वे पंजाब में वक्फउल मदारिस अरेबिया के प्रमुख हैं। इसके अलावा मौलाना काजी अब्दुल राशिद भी अहम भूमिका निभाएंगे। शुरुआती तौर पर पांच विभिन्न विचारधाराओं वाले स्कॉलर्स को आंदोलन की जिम्मेदारी दी जाएगी। सरकार ने मदरसों के लिए नई शिक्षा नीति का ऐलान किया है। मदरसा बोर्ड इसका विरोध कर रहे हैं।
सरकार को चेतावनीसंगठन ने एक बयान में साफ कर दिया है कि मस्जदों या मदरसों के संचालन या उनकी शिक्षा नीति में किसी तरह के बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है और अगर सरकार ने इसमें दखलंदाजी की कोशिश की तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। बयान में कहा गया- मस्जिदें और मदरसे आजाद थे और आजाद ही रहेंगे। सरकार हो या कोई और इनमें दखलंदाजी की कोशिश न करे। अगर ऐसा हुआ तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे।
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