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पैसों के अभाव में अधूरा रह गया डॉक्टर बनने का सपना तो अजय ने शुरू की NEET की फ्री कोचिंग क्लासेस, इस साल सभी 19 बच्चे हुए क्वालिफाय

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2 महीने पहले

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ओडिशा के भुवनेश्वर में रहने वाले अजय बहादुर ने भी कभी डॉक्टर बनने का सपना देखा था। लेकिन पैसों की कमी के चलते उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। ऐसे में अजय ने डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले जरूरतमंद बच्चों को फ्री में कोचिंग देना शुरू किया। NEET के आनंद कुमार कहे जाने वाले अजय जिंदगी फाउंडेशन नाम की एक संस्था चलाते हैं। यह संस्था गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में नीट की पढ़ाई कराती है। इस साल फाउंडेशन के सभी 19 बच्चों का नीट में सिलेक्शन हुआ है। इससे पहले 2018 में भी 20 में से 18 और 2019 में 14 कैंडिडेट्स ने परीक्षा क्वालिफाय की थी।

सुपर-30 के आनंद से मिली प्रेरणा

अजय बताते हैं कि भले ही मैं डॉक्टर नहीं बन पाया, लेकिन इन्हें डॉक्टर बनते देख लगता है जैसे मेरा सपना पूरा हो रहा है। मैं नहीं चाहता कोई होनहार मेरी तरह सिर्फ पैसों के अभाव के चलते डॉक्टर ना बन पाएं । मेरा यह प्रयास जारी रहेगा ताकि कोई भी बच्चा संसाधनों के अभाव में पीछे न छूट जाए। उन्होंने बताया कि वह सुपर-30 के आनंद जी से काफी प्रेरित हुए।

फूल बेचने वाली एक बच्ची के साथ शुरू किया पहला बैच

तीन साल पहले वह जगन्नाथजी के दर्शन कर लौट रहे थे। तब उनकी नजर फूल बेचने वाली एक बच्ची पर पड़ी, जो माला बनाते हुए अपनी नजर किताबों पर गड़ाए थी। 12वीं कक्षा की इस छात्रा का नाम डिंपल साहू था, जो डॉक्टर बनना चाहती थी। लेकिन पिता की दुकान से ही बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था, ऐसे में डॉक्टर की पढ़ाई शायद ही पूरी हो पाएं। उस बच्ची की बात सुन मैं तीन रात सो नहीं पाया। चौथे दिन मैं उस बच्ची और उसके पिता से मिला और इस तरह उसके साथ पहला बैच तैयार किया।

मजदूर की बेटी बनेगी डॉक्टर

जिंदगी फाउंडेशन में इस साल सफल होने वाली अंगुल जिले की खिरोदिनी ने 657 अंक हासिल किए। उसके पिता मजदूरी करते हैं। वहीं, सत्यजीत साहू ने 619 अंक हासिल किए, जिसके पिता साइकिल से घर-घर जाकर सब्जी बेचते हैं। माता-पिता के साथ इडली-बड़ा का ठेला चलाने वाले सुभेंदु परिडा ने 609 और पान की दुकान चलाने वाले वासुदेव पंडा की बेटी निवेदिता ने 591 अंक हासिल किए।

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