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17 घंटे पहले
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साेमवार का दिन खगाेल विज्ञान के लिहाज से बहुत खास हाेगा। 400 साल बाद दाे ग्रहाें बृहस्पति और शनि का महामिलन हाेगा। यह दिन साल का सबसे छाेटा दिन भी हाेगा। दिन की अवधि 10 घंटे 42 मिनट 21 सेकंड हाेगी।
शाम काे सूर्यास्त के तुरंत बाद इन दाे ग्रहाें के महामिलन की घड़ी आएगी। इस दाैरान इन दाेनाें ग्रहाें की दूरी सबसे कम 0.1 डिग्री हाेगी। भाेपाल में साेमवार शाम 5:39 बजे सूर्यास्त हाेगा, इसके बाद पश्चिम दिशा में यह खगोलीय घटना देख सकेंगे।
इस खगोलीय घटना का प्रभाव सकारात्मक रहेगा
ज्याेतिष एवं अध्यात्मिक गुरु कृष्णराव दाैंड कहते है कि गुरु के प्रभाव से आपराधिक प्रवृत्तियां कम होंगी। वहीं शनि के कारण सेवा कार्याें से जुड़े क्षेत्रों में इजाफा हाेगा। कुल मिलाकर यह खगोलीय घटना का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मिलन ताे 20 साल में, लेकिन यह महामिलन क्यों?
केंद्र सरकार के नेशनल अवार्ड से सम्मानित विज्ञान प्रसारक सारिका घारू कहती हैं यह ग्रेट कंजक्शन यानी महामिलन की घटना के समय जुपिटर की पृथ्वी से दूरी करीब 5.624 एस्ट्राेनाॅमिकल यूनिट हाेगी। वहीं सेटर्न की दूरी 10.825 एस्ट्राेनाॅमिकल यूनिट हाेगी। इस तरह ये मिलते जरुर दिखेंगे, लेकिन ये ग्रह वास्तव में एक दूसरे से 73 कराेड़ किमी से भी अधिक दूरी पर हाेते हैं। सारिका कहती हैं सूर्य की परिक्रमा करते हुए 20 साल में ये दाेनाें ग्रह समीत आते हैं। लेकिन ऐसे महामिलन की घटना 1226 और 1623 काे घटित हुई थी। 1623 में सूर्य की उपस्थिति के कारण यह देखी नहीं जा सकी थी।
सूर्यास्त के बाद आप इसे ऐसे देख सकेंगे
इसे देखने के लिए शाम साढ़े पांच बजे के बाद किसी खुले मैदान में या ऊंची इमारत की छत पर खड़े हाे जाएं, जब सूर्यास्त हाे रहा हाेगा, तभी इस दौरान पश्चिम दिशा में गुरु और शनि दाेनाें ग्रहाें का महामिलन देखा जा सकेगा। अन्य तारे वगैरह नहीं दिखेंगे। ज्यादा चमकीला दिखाई देने वाला ग्रह बृहस्पति और इससे जाे थाेड़ा कम चमकेगा, वह शनि हाेगा। जिनके पास अच्छी बाइनाकुलर या टेलिस्काेप है वे जुपिटर के चार बड़े चंद्रमा और सेटर्न के रिंग काे भी देख सकेंगे। शाम 5:39 के बाद इस खगोलीय घटना को देखा जा सकता है।
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