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अंकुर, अनिकेत, अंकिता और अनंत के केस से समझिए कोरोना की 4 स्टेज और हमें तीसरी स्टेज से क्यों डरना चाहिए?

  • स्टेज 1 : अंकुर के उदाहरण से समझिए, जो लंदन से भारत लौटा
  • स्टेज 2 : अनिकेत के उदाहरण से समझिए, जिसे किसी और की गलती से संक्रमण हुआ
  • स्टेज 3 : अंकिता के उदाहरण से समझिए, जिसे पता ही नहीं कि सोर्स कौन है?
  • स्टेज 4 : अनंत के उदाहरण से समझिए जिसमें सब कुछ हाथ से निकल जाता है

दैनिक भास्कर

Mar 24, 2020, 11:32 AM IST

कोरोना डेस्क. सोशल मीडिया में वायरल मैसेज चल रहे हैं कि देश कि राजस्थान और केरल के कुछ क्षेत्रों में कोरोना वायरस तीसरी स्टेज में पहुंच चुका है। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने जनता कर्फ्यू वाले दिन ट्वीट करके कहा कि जानकारों के मुताबिक, बहुत हद तक यह संभव है कि भारत कोरोना की तीसरे स्टेज में पहुंच चुका है। अगर ऐसा है तो इससे लाखों लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। इससे हमारा मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर चरमरा सकता है।

अगर आने वाले दिनों में यह वायरल मैसेज सच साबित होता है तो आसान उदाहरणों से  समझते हैं कि कोरोनावायरस की ये 4 स्टेज क्या होती हैं?

संदर्भ सामग्री:  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर डॉ बलराम भार्गव, डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर शेखावत भारती और दुनियाभर में प्रकाशित एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के आधार पर ।

स्टेज 1: लंदन से कोरोना संक्रमण लेकर भारत आने वाले अंकुर की सांकेतिक तस्वीर।

स्टेज -1 : अंकुर के उदाहरण से समझिए

  • कोरोना के डर के बीच अंकुर लंदन से अपने घर भारत आया। एयरपोर्ट पर उसको बुखार नहीं था। उसको घर जाने दिया गया। पर उससे एयरपोर्ट पर एक शपथ पत्र भरवाया गया कि वह 14 दिन तक अपने घर में कैद रहेगा। और बुखार आदि आने पर इस नम्बर पर संपर्क करेगा। घर जाकर उसने शपथ पत्र की शर्तों का पालन किया। वह घर में कैद रहा। यहां तक कि उसने घर के सदस्यों से भी दूरी बनाए रखी।
  • अंकुर की मम्मी ने कहा- तुझे कुछ नहीं हुआ। अलग थलग मत रह। इतने दिन बाद घर का खाना मिलेगा तुझे, आजा किचन में… मैं गरम गरम खाना परोस देती हूं। अंकुर ने साफ मना कर दिया। अगली सुबह मम्मी ने फिर वही बात कही। इस बार अंकुर को गुस्सा आ गया। उसने मम्मी को चिल्ला दिया। मम्मी की आंख में आंसू छलक आए। वे बुरा मान गईं।

अंकुर ने सबसे अलग थलग (आइसोलेट) रहना जारी रखा।

  • 6-7वें दिन अंकुर को बुखार सर्दी खांसी जैसे लक्षण आने लगे। उसने हेल्पलाइन पर फोन लगाया। कोरोना टेस्ट किया गया। वह पॉजिटिव निकला। उसके घर वालों का भी टेस्ट किया गया। वह सभी निगेटिव निकले। एक किमी के एरिया में सबसे पूछताछ की गई। सब लोगों का टेस्ट भी किया गया।
  • सबने कहा कि अंकुर को किसी ने घर से बाहर निकलते नही देखा। चूंकि उसने अपने आप को अच्छे से आइसोलेट किया था, इसलिए उसने किसी और को कोरोना नहीं फैलाया। अंकुर की उम्र कम थी। कोरोना के लक्षण बहुत मामूली थे। बस बुखार, सर्दी, खांसी, बदन दर्द आदि हुआ। 7 दिन के ट्रीटमेंट के बाद वह बिल्कुल ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पाकर घर आ गया। जो मम्मी कल बुरा मान गईं थीं, वो आज शुक्र मना रहीं हैं कि घर भर को कोरोना नहीं हुआ।

निष्कर्ष :  यह पहली स्टेज जहां सिर्फ विदेश से आये आदमी में कोरोना है। उसने किसी दूसरे को यह नहीं दिया।


स्टेज 2 को समझने के लिए इटली से भारत आए सेठजी के उदाहरण की सांकेतिक तस्वीर।

स्टेज 2-   अनिकेत के उदाहरण से समझिए जो दूसरे की गलती से कोरोना पॉजिटिव हो गया

  • मुंबई में रहने वाले अनिकेत को बुखार और खांसी थी। हेल्थ ऑफिसर ने अनिकेत से उसकी पिछले दिनों की सारी जानकारी ली। उस जानकारी से पता चला कि वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया है, जो हाल ही में विदेश होकर आया है। वह परसों गहने खरीदने के लिए एक ज्वेलरी शॉप पर गया था। उसके मालिक सेठजी हाल ही में इटली घूमकर लौटे थे। 
  • सेठजी विदेश से घूमकर आये थे। उनको एयरपोर्ट पर बुखार नहीं था। इसी कारण उनको घर जाने दिया गया। पर उनसे शपथ पत्र भरवा लिया गया, कि वह अगले 14 दिन एकदम अकेले रहेंगे और घर से बाहर नहीं निकलेंगे। घर वालों से भी दूर रहेंगे।
  • लेकिन, कमाई के चक्कर में उन्होंने एयरपोर्ट पर भरे गए उस शपथ पत्र की धज्जियां उड़ाईं। घर में वह सबसे खूब प्रेम से मिले, दूसरों को छुआ और खुद को भी  छूने दिया।  शाम को अपनी पसंदीदा सब्जी खाई और अगले दिन अपनी ज्वेलरी दुकान पर जा बैठे। 
  • 6ठें दिन सेठजी को बुखार आया। उसके घर वालों को भी बुखार आया। घर वालों में बूढ़ी मां भी थी। सबकी जांच हुई। जांच में सब पॉजिटिव निकले। यानी विदेश से आया आदमी खुद पॉजिटिव निकला, फिर उसने घर वालों को भी पॉजिटिव कर दिया। सेठजी दुकान में 450 लोगों के संपर्क में आए, जैसे नौकर चाकर, ग्राहक आदि। 
  • उनमें से एक ग्राहक अनिकेत भी था। 
  • अब: सभी  450 लोगों को आइसोलेट करके चेकअप हो रहा है। अगर उनमें किसी में पॉजिटिव आया तो भी यह सेकंड स्टेज है। 
  • डर:  यह है कि इन 450 में से हर आदमी न जाने कहां – कहां गया होगा, कितने लोगों से मिला होगा !!!!

निष्कर्ष : कुल मिलाकर स्टेज 2 यानी कि जिस आदमी में कोरोना पॉजिटिव आया है, वह विदेश नहीं गया था। पर वह एक ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया है,जो हाल ही में विदेश होकर आया है।


स्टेज 3 को समझने के लिए अंकिता के उदाहरण की सांकेतिक तस्वीर।

स्टेज 3: अंकिता के उदाहरण से समझिए जिसे पता ही नहीं चला कि वह संक्रमित कैसे हो गई?

  • अंकिता को सर्दी, खांसी, बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती किया, वहां उसका कोरोना पॉजिटिव आया। पर वह न तो कभी विदेश गई थी।  न ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आईं, जो हाल ही में विदेश होकर आया है।

यानी हमें अब वह स्रोत नहीं पता कि अंकिता को कोरोना आखिर लगा कहां से??

  • स्टेज 1 में आदमी खुद विदेश से आया था।
  • स्टेज 2 में पता था कि सोर्स कारोबारी हैं। हमने उनके संपर्क में आए हर आदमी का टेस्ट किया और उनको 14 दिन के लिए अलग थलग कर दिया।
  • स्टेज 3 में आपको कोरोनावायरस को सोर्स ही नहीं पता चलता।

निष्कर्ष : सोर्स नहीं पता तो हम उसे पकड़ नहीं सकते। व्यक्ति को आइसोलेट नहीं कर सकते। वह सोर्स न जाने कहां होगा और अनजाने में ही कितने सारे लोगों को इन्फेक्ट कर देगा।


स्टेज 4 की भयावहता के लिए एक सांकेतिक इलस्ट्रेशन।

स्टेज 4 : अनंत का उदाहरण जो इटली से वीडियो भेजकर समझा रहा है?

  • मान लीजिए दिल्ली का रहने वाला अनंत इटली में फंसा हुआ है। उसने वहां से एक वीडियो भेजकर भारत के लोगों को चेतावनी दी है कि अगर कोरोना के संक्रमण को आप सेकंड या थर्ड स्टेज में नहीं रोकेंगे तो इटली जैसे हालात हो जाएंगे।
  • इटली में वायरस की चौथी स्टेज कम्युनिटी के लेवल से ऊपर मास लेवल पर पहुंच चुकी है। अब न तो साेर्स का पता लगा सकते हैं और न ही महामारी को रोकने का कोई तरीका समझ आता है। इसी वजह से इटली में कहा जा रहा है कि बूढ़ों को मरने दो, बच्चों और जवानों को बचा लो।

आप सबसे जरूरी बात कि हमें स्टेज 3 से क्यों डरना चाहिए और समझना चाहिए कि ये कैसे पैदा होती है?

  • सेठजी 450 लोगों के संपर्क में आये। जैसे ही उनके पॉजिटिव होने की खबर फैली, तो उनके सभी ग्राहक,नौकर, घर के पड़ोसी, दुकान के पड़ोसी, दूध वाला, बर्तन वाली, चाय वाला….सब अस्पताल को दौड़े। सब लोग कुल मिलाकर 440 थे।
  • 10 लोग अभी भी नहीं मिले। पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम उनको ढूंढ रही है।
  • उन 10 में से अगर कोई किसी मंदिर आदि में घुस गया तब तो यह वायरस खूब फैलेगा।

निष्कर्षयही स्टेज 3 है जहां आपको स्रोत नहीं पता।

स्टेज 3 काे रोकने के लिए जनता कर्फ्यू कारगर उपाय है। तस्वीर: सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक की कलाकृति।

स्टेज 3 काे रोकने का उपाय

  • 14 दिन का लॉकडाउन यानी पूरी तरह से तालाबंदी । जनता कर्फ्यू लगा दो। शहर को 14 दिन एकदम लॉकडाउन कर दो। किसी को बाहर न निकलने दो।

इस तालाबंदी से क्या होगा?

  • हर आदमी घर में बंद है। ऐसे में जो आदमी किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आया है तो वह सुरक्षित है। जो अज्ञात सोर्स है, वह भी अपने घर में बंद है। जब वह बीमार पड़ेगा, तो वह अस्पताल में पहुंचेगा। इससे पता चल जाएगा कि अज्ञात सोर्स यही है।

निष्कर्षहो सकता है कि इस अज्ञात सोर्स ने अपने घर के 4 लोग और संक्रमित कर दिए हैं, पर बाकी का पूरा शहर बच गया। अगर लॉकडाउन नहीं होता तो वह सोर्स पकड़ में नहीं आता और वह ऐसे हजारों लोगों में कोरोना फैला देता। फिर यह हजार अज्ञात लोग लाखों में इसको फैला देते। इसलिए लॉकडाउन से पूरा शहर बच गया और अज्ञात सोर्स पकड़ में आ गया।


22 मार्च को जनता कर्फ्यू की एक तस्वीर जिसमें पुलिसकर्मी लोगों को फूल देकर घर में रहने के लिए समझा रहे हैं।

क्या करें कि स्टेज 2, स्टेज 3 में न बदले?

  • Early लॉकडाउन यानी स्टेज 3 आने से पहले ही तालाबन्दी कर दो।  यह लॉकडाउन 14 दिन से कम का होगा।

उदाहरण के लिए-

  • सेठजी एयरपोर्ट से बेखौफ निकले
  • उन्होंने क्वारैंटाइन की धज्जियां उड़ाईं।
  • घर भर को कोरोना दे दिया।
  • सुबह उठकर दुकान खोलने गए। 
  • पर, अब चूंकि तालाबंदी है। तो पुलिस वाले सेठजी की तरफ डंडा लेकर दौड़े। डंडा देख सेठजी शटर लटकाकर भागे।

पर अब चूंकि मार्केट भी बंद है

  • तो 450 ग्राहक भी नहीं आए। सभी बच गए।
  • अनिकेत भी बच गया और बाद में अंकिता भी।
  • बस, सेठजी के परिवार को कोरोना हुआ।

निष्कर्ष: छठें से लेकर 14वें दिन तक कोरोना के लक्षण आ-जा सकते हैं। विदेश से लौटे लोगों में लक्षण आ जाएं तो उनको अस्पताल पहुंचा दिया जाएगा। और नहीं आए तो इसका मतलब वे कोरोना निगेटिव हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा, ‘‘कोरोना संक्रमण रोकने का सबसे अच्छा तरीका पॉजिटिव व्यक्ति को आइसोलेट करना है। 4 दिनों के आइसोलेशन से 80% मरीज ठीक हो सकते हैं। केवल 5% को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है।’’ 


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