May 2, 2024 : 10:57 AM
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यूपी: भूख से ग्रामीण की मौत, घर में नहीं मिला अन्न का एक भी दाना, कोटेदार ने भी न दिया राशन, SDM बोले…

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भूख से ग्रामीण की मौत
– फोटो : अमर उजाला।

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के नवाबगंज में ईधजागीर के मोहल्ला बांके बिहारी में एक ग्रामीण की मौत के बाद शव घर में दो दिन पड़ा रहा। शनिवार को पड़ोसी दीवार फांदकर घर में घुसे तो मौत का पता चला। रिश्तेदारों के मुताबिक, ग्रामीण के घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था। 

नवंबर का राशन भी ग्रामीण को नहीं मिला था। रिश्तेदारों और पड़ोसियों के मुताबिक, भूख से मौत हुई है मगर लेखपाल की रिपोर्ट में छह महीने पहले सांड के हमले में वायरल होने की वजह से बीमारी से मौत होने की बात कही गई। 

बिना पोस्टमार्टम कराए परिवार ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, 50 साल के मनोहर लाल अकेले हो खपरैलनुना मकान में रहते थे। वह कबाड़ बेचकर और पड़ोसियों से सांगाकर अपनी गुजर बसर करते थे। 

दो दिन से उनके घर का दरवाजा बंद था। शनिवार सुबह पड़ोसियों ने झालाजीपुरम निवासी उनकी भतीजी मीना देवी को सूचना दी। मीना के खटखटाने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला तो एक युवक दीवार लांघकर घर में घुसा। देखा तो मनोहर लाल चारपाई पर मृत पड़े थे।  
मीना ने जानकारी तहसीलदार और एसडीएम को दी। अधिकारियों ने हल्का लेखपाल योगेश कुमार को मौके पर भेजा। मृतक के परिवारवालों ने बताया कि घर मे अनाज का एक दाना नहीं है। उन्हें लगता है कि भोजन न मिलने पर मौत हुई है।

बताया कि अक्तूबर में मनोहरलाल को राशन मिला था मगर नवंबर का राशन उन्हें नहीं मिला। मीना ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया।

लेखपाल की जांच रिपोर्ट मिल गई है। छह महीने पहले मनोहर लाल को सांड ने घायल कर दिया था, वह तभी से बीमार थे। मौत भूख से नहीं बीमारी से हुई है। वेदप्रकाश मिश्रा, एसडीएम

तीस साल पहले जमीन बेचकर मकान खरीदातीस साल पहले मनोहर लाल ने अपने हिस्से की जमीन बेचकर छोटा सा खपरैलनुमा मकान खरीदा था। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र की एक महिला के साथ शादी की थी लेकिन वह एक साल में ही उन्हें छोड़कर चली गई। तब से वह अकेले हो इस मकान में रह रहे थे। 
जीतेजी मनोहर लाल का ध्यान न रखने वाले उनके कुनबे के लोग और रिश्तेदार उनकी मौत के बाद अपनापन जताने पहुंच गए। ज्योरा मकरंदपुर गांव में रहने वाले उनके बड़े भाई शंकरलाल, हीरालाल अपने बच्चों के साथ मौके पर पहुंच गए।

ग्रामीणों का कहना है मनोहर लाल तीस साल से अकेले इस मकान में रह रहे थे हर दुख परेशानी में उनके पड़ोसियों ने मदद की थी लेकिन उनके चिड़चिड़े स्वाभाव के चालते उनके घर पर कोई परिजन नहीं जाता था।

पड़ोसी ही उन्हें खाना आदि की व्यवस्था करते थे । वहीं कोटेदार महेश कुमार का कहना है कि इस बार पीओएस मशीन पर मनोहर लाल के अंगूठे का निशान न लगने में राशन अपलोड नही हो सका, लेकिन इसके बाद भी उसे राशन दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के नवाबगंज में ईधजागीर के मोहल्ला बांके बिहारी में एक ग्रामीण की मौत के बाद शव घर में दो दिन पड़ा रहा। शनिवार को पड़ोसी दीवार फांदकर घर में घुसे तो मौत का पता चला। रिश्तेदारों के मुताबिक, ग्रामीण के घर में अन्न का एक दाना भी नहीं था। 

नवंबर का राशन भी ग्रामीण को नहीं मिला था। रिश्तेदारों और पड़ोसियों के मुताबिक, भूख से मौत हुई है मगर लेखपाल की रिपोर्ट में छह महीने पहले सांड के हमले में वायरल होने की वजह से बीमारी से मौत होने की बात कही गई। 

बिना पोस्टमार्टम कराए परिवार ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, 50 साल के मनोहर लाल अकेले हो खपरैलनुना मकान में रहते थे। वह कबाड़ बेचकर और पड़ोसियों से सांगाकर अपनी गुजर बसर करते थे। 

दो दिन से उनके घर का दरवाजा बंद था। शनिवार सुबह पड़ोसियों ने झालाजीपुरम निवासी उनकी भतीजी मीना देवी को सूचना दी। मीना के खटखटाने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला तो एक युवक दीवार लांघकर घर में घुसा। देखा तो मनोहर लाल चारपाई पर मृत पड़े थे। 
 

मीना ने जानकारी तहसीलदार और एसडीएम को दी। अधिकारियों ने हल्का लेखपाल योगेश कुमार को मौके पर भेजा। मृतक के परिवारवालों ने बताया कि घर मे अनाज का एक दाना नहीं है। उन्हें लगता है कि भोजन न मिलने पर मौत हुई है।

बताया कि अक्तूबर में मनोहरलाल को राशन मिला था मगर नवंबर का राशन उन्हें नहीं मिला। मीना ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया।

लेखपाल की जांच रिपोर्ट मिल गई है। छह महीने पहले मनोहर लाल को सांड ने घायल कर दिया था, वह तभी से बीमार थे। मौत भूख से नहीं बीमारी से हुई है। वेदप्रकाश मिश्रा, एसडीएम

तीस साल पहले जमीन बेचकर मकान खरीदातीस साल पहले मनोहर लाल ने अपने हिस्से की जमीन बेचकर छोटा सा खपरैलनुमा मकान खरीदा था। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र की एक महिला के साथ शादी की थी लेकिन वह एक साल में ही उन्हें छोड़कर चली गई। तब से वह अकेले हो इस मकान में रह रहे थे। 

दो दिन घर में पड़ा रहा शव, मौत की सूचना के बाद दिखाने लगे अपनापन

जीतेजी मनोहर लाल का ध्यान न रखने वाले उनके कुनबे के लोग और रिश्तेदार उनकी मौत के बाद अपनापन जताने पहुंच गए। ज्योरा मकरंदपुर गांव में रहने वाले उनके बड़े भाई शंकरलाल, हीरालाल अपने बच्चों के साथ मौके पर पहुंच गए।

ग्रामीणों का कहना है मनोहर लाल तीस साल से अकेले इस मकान में रह रहे थे हर दुख परेशानी में उनके पड़ोसियों ने मदद की थी लेकिन उनके चिड़चिड़े स्वाभाव के चालते उनके घर पर कोई परिजन नहीं जाता था।

पड़ोसी ही उन्हें खाना आदि की व्यवस्था करते थे । वहीं कोटेदार महेश कुमार का कहना है कि इस बार पीओएस मशीन पर मनोहर लाल के अंगूठे का निशान न लगने में राशन अपलोड नही हो सका, लेकिन इसके बाद भी उसे राशन दिया गया था।

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