May 2, 2024 : 6:15 PM
Breaking News
राज्य

गंदगी में रहने वाले लोगों से हार गया कोरोना, पता ही नहीं चला और एंटीबॉडी ने मार दिया, सीरो सर्वे में खुलासा

[ad_1]

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी।

*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

जिन क्षेत्रों में धूल-धक्कड़, धुआं अधिक रहा, वहां पर कोरोना को शिकस्त मिली है। गंदगी के कारण लोगों की इम्यूनिटी अधिक मजबूत रही। नगर में हुए सीरो सर्वे में निम्न मध्यम वर्ग के लोग अधिक रहे हैं। इनमें करीब 21.22 फीसदी में लोगों को कोरोना होने की हवा नहीं लग पाई।

विशेषज्ञों का कहना है कि गंदगी के कारण संक्रमण से जूझते रहने वालों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है। आरामतलबी की जिंदगी से शरीर की इम्यूनिटी पावर कमजोर रहती है। सीरो सर्वे में जिन 45 स्थानों से लोगों के सैंपल लिए गए थे, उनमें ज्यादातर लोग निम्न मध्यम वर्ग के रहे हैं।

मध्यम वर्ग की संख्या बहुत कम रही। मध्य-उच्च वर्ग के चार-पांच सैंपल रहे हैं। जिन 21.22 फीसदी लोगों के सैंपल में एंटीबॉडी मिली है, वे सभी निम्न मध्यम वर्ग के रहे हैं। इन क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं रही है। लेकिन बहुत अधिक गंदगी भी नहीं थी।
इसके अलावा निम्न मध्यम वर्ग के होने की वजह से उन जगहों पर धूल, धक्कड़ और प्रदूषण अधिक रहा है। 1440 लोगों का सैंपल लेने के बाद मौके पर ही एंटीजन टेस्ट भी किया जाता रहा। इनमें 18 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे। लेकिन इनमें संक्रमण लेवल अधिक नहीं था।

इसके अलावा कोरोना का कोई गंभीर लक्षण भी नहीं उभरा था। इससे कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कहीं डाक्टर के पास जाकर जांच नहीं कराई थी। अगर इनका एंटीजन टेस्ट न होता तो इन लोगों को भी कोरोना होने का पता नहीं चलता। इनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई थी।

इसका मतलब है कि जो लोग पकड़ में आए उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना हार गया था। सीरो सर्वे के प्रभारी डॉ. अविनाश यादव का कहना है कि वैसे सोशल स्टेटस के हिसाब से सैंपलिंग नहीं की गई। लेकिन ज्यादातर सैंपल देने वाले लोग निम्न मध्य वर्ग के ही रहे हैं।

जिन क्षेत्रों में धूल-धक्कड़, धुआं अधिक रहा, वहां पर कोरोना को शिकस्त मिली है। गंदगी के कारण लोगों की इम्यूनिटी अधिक मजबूत रही। नगर में हुए सीरो सर्वे में निम्न मध्यम वर्ग के लोग अधिक रहे हैं। इनमें करीब 21.22 फीसदी में लोगों को कोरोना होने की हवा नहीं लग पाई।

विशेषज्ञों का कहना है कि गंदगी के कारण संक्रमण से जूझते रहने वालों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है। आरामतलबी की जिंदगी से शरीर की इम्यूनिटी पावर कमजोर रहती है। सीरो सर्वे में जिन 45 स्थानों से लोगों के सैंपल लिए गए थे, उनमें ज्यादातर लोग निम्न मध्यम वर्ग के रहे हैं।

मध्यम वर्ग की संख्या बहुत कम रही। मध्य-उच्च वर्ग के चार-पांच सैंपल रहे हैं। जिन 21.22 फीसदी लोगों के सैंपल में एंटीबॉडी मिली है, वे सभी निम्न मध्यम वर्ग के रहे हैं। इन क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं रही है। लेकिन बहुत अधिक गंदगी भी नहीं थी।

इसके अलावा निम्न मध्यम वर्ग के होने की वजह से उन जगहों पर धूल, धक्कड़ और प्रदूषण अधिक रहा है। 1440 लोगों का सैंपल लेने के बाद मौके पर ही एंटीजन टेस्ट भी किया जाता रहा। इनमें 18 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे। लेकिन इनमें संक्रमण लेवल अधिक नहीं था।

इसके अलावा कोरोना का कोई गंभीर लक्षण भी नहीं उभरा था। इससे कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कहीं डाक्टर के पास जाकर जांच नहीं कराई थी। अगर इनका एंटीजन टेस्ट न होता तो इन लोगों को भी कोरोना होने का पता नहीं चलता। इनके शरीर में एंटीबॉडी बन गई थी।

इसका मतलब है कि जो लोग पकड़ में आए उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना हार गया था। सीरो सर्वे के प्रभारी डॉ. अविनाश यादव का कहना है कि वैसे सोशल स्टेटस के हिसाब से सैंपलिंग नहीं की गई। लेकिन ज्यादातर सैंपल देने वाले लोग निम्न मध्य वर्ग के ही रहे हैं।

[ad_2]

Related posts

मिस्ट्री गर्ल बारबरा का दावा: मेहुल ने रिश्ते बनाने के लिए होटल बुकिंग से लेकर फ्लाइट टिकट तक का दिया था ऑफर

Admin

प्रेमी से लड़कर ट्रक से उतरी प्रेमिका तो चढ़ा दिया ट्रक, कई बार कुचला

News Blast

Tokyo Olympics: नौवें दिन भारत की खराब शुरुआत, तीरंदाजी के प्री क्वार्टरफाइनल में हारे अतनु

News Blast

टिप्पणी दें