May 14, 2024 : 4:49 PM
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संदीप देख नहीं सकते, खाखरा-पापड़ बेच घर खर्च चलाते हैं, RBI ऐप से नोट पहचान लेते हैं

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  • Sandeep Of Surat Is Blind, Earning 30 Thousand Rupees Every Month By Selling Papad And Khakhara

सूरत5 घंटे पहले

  • मार्च महीने तक संदीप हर महीने 20-30 हजार रुपए तक कमा लेते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते वे फिलहाल 10-15 हजार रुपए ही कमा पा रहे हैं
  • पहले वो सूरत स्टेशन से मुंबई के मलाड स्टेशन तक का सफर किया करते थे, अब 6-7 सालों से सूरत में ही घूम-घूमकर बिजनेस करते हैं

सूरत के वराछा इलाके में रहने वाले संदीप जैन नेत्रहीन हैं। लेकिन, इस शारीरिक कमजोरी के बाद भी वे आत्मनिर्भर हैं। अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। ग्रेजुएशन के बाद उन्हें सरकारी की मदद से एक STD-PCO मिली थी। परिवार का खर्च उससे चल जाता था। लेकिन, कुछ दिनों बाद वो बंद हो गई। इससे संदीप के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया। परिवार के गुजारे के लिए कुछ न कुछ करना ही था। फिर उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का मन बनाया।

संदीप खुद से पापड़ तैयार कर ट्रेनों में बेचने लगे। धीरे-धीरे उन्हें मुनाफा होने लगा। आज वे पापड़ के अलावा खाखरा और चिक्की भी बेचते है, जिसे काफी पंसद किया जा रहा है। उनके तो कई ग्राहक फिक्स भी हो चुके हैं। मार्च महीने तक संदीप हर महीने 20-30 हजार रुपए तक कमा लेते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते वे फिलहाल 10-15 हजार रुपए ही कमा पा रहे हैं। हालांकि, वो इससे भी निराश नहीं हैं।

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संदीप जैन ने बताया कि उन्हें सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। लेकिन टेलीफोन क्षेत्र में हुई क्रांति के बाद PCO बंद हो गए। फिर उन्होंने अपना काम शुरू किया।

संदीप जैन ने बताया कि उन्हें सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। लेकिन टेलीफोन क्षेत्र में हुई क्रांति के बाद PCO बंद हो गए। फिर उन्होंने अपना काम शुरू किया।

संदीप अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ एक अपार्टमेंट में रहते हैं। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई अहमदाबाद के ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन स्कूल में की। इसके बाद सूरत के एमटीबी आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1999 में उनकी शादी हुई। पत्नी भी नेत्रहीन है। अच्छी बात ये है कि उनकी दोनों बेटियां स्वस्थ हैं, उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं है। पहली बेटी बीकॉम कर रही है जबकि दूसरी सातवीं क्लास में है।

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STD-PCO बंद होने से काम शुरू किया संदीप जैन ने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद उन्हें सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। लेकिन टेलीफोन क्षेत्र में हुई क्रांति के बाद PCO बंद होते चले गए। इसके बाद उन्होंने पापड़ बेचने का काम शुरू किया। वे बताते हैं, “फिलहाल मैं पापड़ के साथ खाखरा और चिक्की भी बेचता हूं। आज तक किसी ग्राहक ने क्वालिटी खराब होने की शिकायत नहीं की। मैं ग्राहकों की संतुष्टि के बाद ही उनसे पैसे लेता हूं।”

संदीप के प्रोडक्ट को लोगों से काफी सराहना मिलती है। संदीप बताते हैं कि मेरे प्रोडक्ट की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।

संदीप के प्रोडक्ट को लोगों से काफी सराहना मिलती है। संदीप बताते हैं कि मेरे प्रोडक्ट की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।

किसी भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए
सड़कों पर पापड़, खाखरा बेचने वाले संदीप कहते हैं कि कोई भी नौकरी या बिजनेस हो, छोटा नहीं होता। हमें उसका सम्मान करना चाहिए। वैसे भी अपना मनचाहा काम करने में तो ज्यादा खुशी होती है। संदीप बताते हैं कि उनका परिवार सुखी है और जिंदगी की गाड़ी भी ठीक चल रही है।

बेटियों के लिए भी कोई चीज लेने में किसी की मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ती। मैं अपने सभी काम खुद ही करता हूं। ये बिजनेस करने के लिए मैं पहले सूरत स्टेशन से मुंबई के मलाड स्टेशन तक का सफर किया करता था। अब 6-7 सालों से सूरत में ही घूम-घूमकर बिजनेस करता हूं।

नए नोट की पहचान के लिए RBI के ऐप का उपयोग

आज संदीप आत्मनिर्भर हैं। हर महीने वो इतना कमा लेते हैं कि उन्हें किसी से मांगने की जरूरत नहीं होती है।

आज संदीप आत्मनिर्भर हैं। हर महीने वो इतना कमा लेते हैं कि उन्हें किसी से मांगने की जरूरत नहीं होती है।

संदीप बताते हैं कि मैं ग्राहकों द्वारा दिए जाने वाले सभी करंसी को आराम से पहचान जाता हूं। चाहे वह 10,20,50,100 या 500 का ही नोट क्यों न हो। नोटबंदी के बाद जब मार्केट में नए नोट आए तो शुरुआत में थोड़ी परेशानी होती थी। उसके लिए मैं RBI के ऐप का उपयोग करता था। इससे नोट स्कैन करते ही पता चल जाता है कि वह कितने का नोट है।

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