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कहा- एनपीए प्रक्रिया पर खत्म हो बैन, नहीं तो बैंकिंग सिस्टम को हो रहा है भारी नुकसान

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  • Non Performing Assets (NPA) News Update; Reserve Bank Of India (RBI) Reply To Supreme Court

मुंबईएक मिनट पहले

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  • आरबीआई ने जुलाई 2015 के सर्कुलर का हवाला देते हुए एनपीए पर रोक खत्म करने को सही ठहराया है
  • सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम के मामले में केंद्र सरकार और आरबीआई सहित सभी पार्टियों को दिया था एक हफ्ते का समय

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट से अपील किया है कि कोर्ट एनपीए प्रक्रिया पर लगे बैन को तुरंत खत्म करे। क्योंकि इससे देश का बैंकिंग सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होरहा है। इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक का रेग्यूलेटरी मैंडेट भी कमजोर हो रहा है। इस दौरान आरबीआई ने बैंकों को छह महीने तक के कर्ज भुगतान पर मोरेटोरियम और वन-टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की छूट दिया है।

एनपीए घोषित करने पर लगे बैन को हटाने की मांग

आरबीआई ने जुलाई 2015 के सर्कुलर का हवाला देते हुए एनपीए पर रोक खत्म करने को सही ठहराया है। इसमें कहा गया है कि सर्कुलर का उद्देश्य बैंकों के खातों की सही और निष्पक्ष स्थिति को दर्शाना है। ताकि फाइनेंशियल असेट्स के जरिए लेंडर्स को कर्जदारों के बैंक खातों की सही स्थिति की जानकारी मिले। इससे पहले 3 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भुगतान में देरी के कारण किसी भी बैंक खाते को घोषित कर दिया जाता है। ऐसे में एनपीए के नाम से डरने की आवश्यकता नहीं है।

केंद्र सरकार का कर्जदारों को राहत

दूसरी ओर केंद्र सरकार ने कर्जदारों को राहत देने का निर्णय लिया है। इसमें कर्जदारों को 2 करोड़ रुपए तक के एमएसएमई लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज पर ब्याज की छूट मिलेगी। सरकार ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में कोरोना संकट से प्रभावित कर्जदारों को राहत मिलेगी। हालांकि इसके लिए सरकार को 5-6 हजार करोड़ रुपए की रकम का भुगतान करना पड़ेगा।

कोर्ट ने दिया था एक सप्ताह का समय

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका को ध्यान में रखते हुए जजों की खंडपीठ ने अगले आदेश तक बैंकों द्वारा कर्ज को एनपीए घोषित करने पर रोक लगा दी थी। दरअसल याचिका में कोरोना के कारण कर्जदारों की इनकम बुरी तरह प्रभावित होने की बात कही गई थी। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम के मामले में केंद्र सरकार और आरबीआई सहित सभी पार्टियों को मामले पर जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। कोर्ट ने कहा था कि रियल एस्टेट एसोसिएशंस और अन्य के मुद्दों पर भी विचार किया जाना चाहिए।

इस मामले पर कोर्ट अपनी अगली सुनवाई मंगलवार यानी 13 अक्टूबर को करेगी। जानकारों के मुताबिक आने वाले फैसले से न केवल लाखों कर्जदारों, बल्कि बैंकों और देश के लिए भी दूरगामी परिणाम साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें सरकारी बैंकों की भागीदारी सबसे ज्यादा है।

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