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सेना को अपने जवानों के खिलाफ सबूत मिले, कार्रवाई शुरू की; जुलाई में आतंकी बताकर 3 युवकों को मार दिया गया था

श्रीनगर7 मिनट पहले

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शोपियां में 18 जुलाई को मारे गए युवकों की तस्वीर सोशल मीडिया पर आने के बाद परिजन ने इन्हें पहचाना था और पुलिस में शिकायत की थी। -फाइल फोटो

  • 18 जुलाई को शोपियां के आशिमपोरा गांव में इम्तियाज, अबरार और इबरार का एनकाउंटर किया गया था
  • सेना ने इन्हें आतंकवादी बताया था, पर परिवार वालों ने कहा था कि युवक मजदूरी के लिए शोपियां गए थे

18 जुलाई को शोपियां में हुए एनकाउंटर की जांच सेना ने पूरी कर ली है। शुरुआती जांच में सेना को एनकाउंटर को अंजाम देने वाले अपने जवानों के खिलाफ सबूत मिले हैं और इसके बाद कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आर्मी ने बताया कि इस एनकाउंटर के दौरान जवानों ने आर्म्ड फोर्सस स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया। इस ऑपरेशन में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ द्वारा दिए गए निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया।

परिवार वालों ने मारे गए युवकों को मजदूर बताया था
18 जुलाई को शोपियां के आशिमपोरा गांव में इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार का एनकाउंटर कर दिया गया था। ये सभी राजौरी के रहने वाले थे। सेना ने कहा था कि ये आतंकवादी थे और इनके पास से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है। उधर, मारे गए लड़कों के परिवार वालों ने कहा था कि ये सभी मजदूर थे और शोपियां में मजदूरी करने गए थे। उनका आतंकवाद से कुछ भी लेना-देना नहीं था।

टेररिज्म कनेक्शन पर अभी पुलिस की जांच जारी
पुलिस ने परिजन के आरोप पर केस दर्ज किया था और लड़कों को डीएनए सैंपल कलेक्ट किए थे। डीएनए सैंपल की रिपोर्ट अभी नहीं आई है पर, आर्मी की जांच पूरी हो गई है। आर्मी ने इसे शुक्रवार को जारी किया है। जांच में निर्देश दिया गया है कि जो लोग इसके जिम्मेदार पाए गए हैं, उनके खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत एक्शन शुरू किया जाए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एनकाउंटर में मारे गए लोगों का आतंकवाद या इससे जुड़ी गतिविधियों से संबंध था या नहीं?, इसकी जांच पुलिस अभी कर रही है।

2010 और 2000 में भी हुए थे ऐसे एनकाउंटर
सेना ने कश्मीर के माछिल सेक्टर में 2010 में एक फेक एनकाउंटर में तीन लोगों को मार डाला था, जिसके बाद घाटी के हालात बेहद ज्यादा खराब हो गए थे। इसके बाद कई महीनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था और 100 से ज्यादा लोगों की पत्थरबाजी और प्रदर्शन करते जान गई थी। इससे पहले 2000 में पथरी-बल में पांच नागरिकों की फेक एनकाउंटर में मौत हो गई थी।

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