May 17, 2024 : 11:03 AM
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एमएससी बीच में छोड़ 5 बीघा में जड़ी-बूटी उगाईं, 6 महीने में दोगुना फायदा हुआ, अब 300 एकड़ से सालाना 25 लाख मुनाफा

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  • Herb Cultivation Started From Five Bighas, Leaving MSC Botany In The Middle, Doubled In 6 Months, Today Its Cultivation On 300 Acres Is Making A Profit Of 25 Lakhs Annually.

नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: विकास वर्मा

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मेरठ के एक गांव के अशोक चौहान मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

  • अशोक अपनी और लीज पर ली गई करीब जमीन पर 25 से ज्यादा जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं
  • उनका कहना है कि 5 बीघा में हल्दी-तुलसी लगाई, एक लाख रुपए की लागत आई लेकिन छह महीने बाद दोगुना फायदा हुआ

करीब 28 साल पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक छोटे से गांव मटौर का रहना वाला एक लड़का एमएससी बॉटनी की पढ़ाई के लिए उत्तराखंड गया। कॉलेज में दाखिला लिया और कुछ दिन पढ़ाई भी की। इस बीच कुछ ऐसी जगहों पर जाने का मौका मिला जहां उसने जड़ी-बूटी की खेती देखी। खेती करने वाले लोगों से थोड़ी बातचीत की और कॉलेज आकर इसके बारे में खूब पढ़ा। फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर अपने गांव पहुंचा और वहां जड़ी-बूटी की खेती शुरू कर दी। यह कहानी है अशोक चौहान की जो आज करीब 300 एकड़ जमीन पर मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

अशोक कहते हैं, ‘मैंने शुरुआत 5 बीघा से ​की, इसमें हल्दी और तुलसी लगाई। जिसमें एक लाख रुपए की लागत आई, लेकिन छह महीने बाद ही यह तैयार हुई और मुझे लागत से दोगुना फायदा हुआ।’

आज अशोक अपनी और लीज पर ली गई करीब 300 एकड़ जमीन पर 6 पार्टनर के साथ मेडिसिनल प्लांट की खेती करते हैं। इससे हर पार्टनर को साल में करीब 20-25 लाख का मुनाफा होता है। इसके अलावा वे करीब 350 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अशोक कहते हैं ‘मेरा उद्देश्य किसानों को ट्रेडिशनल खेती के साथ-साथ क्लिनिकल खेती में भी लाना है।’

तस्वीर में दिख रहे यह सर्पगंधा के पौधे हैं।

तस्वीर में दिख रहे यह सर्पगंधा के पौधे हैं।

सफेद मूसली उगाने की कोशिश में हुआ 10 लाख का नुकसान

अशोक ने बताया, ‘5 बीघा में डबल मुनाफे के बाद मेरा हौसला बढ़ा और मैंने अगले साल 10 बीघा और उसके अगले साल 50 बीघा में मेडिसिनल प्लांट की खेती की। 1995 में मैंने अपने खेतों में सफेद मूसली उगाने की कोशिश की, लेकिन इसमें करीब 8 से 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। तब मुझे समझ आया कि सफेद मूसली के लिए मेरी जमीन और मौसम सही नहीं था। इसके बाद मैंने उत्तराखंड के कुछ शहरों में भी लोगों को साथ जोड़कर मौसम और जमीन के मुताबिक खेती करना शुरू किया।’

अशोक अब अपने खेतों में सर्पगंधा, शतावरी, एलोवेरा, अकरकरा, केवकंद, कालमेघ चित्रक, अनंतमूल, मैदा छाल जैसे करीब 25 से ज्यादा मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

दादा-परदादा वैद्य थे, लोगों के इलाज के लिए घर में उगाते थे औषधीय पौधे

अशोक बताते हैं ‘हमारे दादा-परदादा अपने जमाने में वैद्य का काम करते थे, उस समय गांव के आसपास के लोग उनकी हाथ से बनी दवाई का इस्तेमाल कर ठीक हो जाते थे। दादा-परदादा औषधीय पौधे घर में उगाते थे, ताकि लोगों का इलाज किया जा सके। दादा के बाद पिताजी को भी मेडिसिन प्लांट की नॉलेज थी, तो उन्होंने भी इस काम को जारी रखा। वे कहते थे कि कहीं डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है, हमारे आस-पास ऐसी औषधियां पाई जाती हैं कि जिससे हम छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इसलिए, मैंने इसकी पढ़ाई करने का फैसला लिया था। तब तक मुझे इसकी खेती और व्यवसाय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।’

तस्वीर में दिख रहे यह शतावरी के पौधे हैं।

तस्वीर में दिख रहे यह शतावरी के पौधे हैं।

खुद की कंपनी भी बनाई है, 35 तरह के प्रोडक्ट बेचते हैं

अशोक ने बताया ‘मेरे पास कई तरह की दवाइयां हैं जिन्हें मैंने खुद रिसर्च करके तैयार किया है। पिछले साल मैंने​ एक कंपनी भी बनाई, जिसके जरिए हम 35 तरह के प्रोडक्ट बनाकर बेचते हैं। मुझे एमएससी की पढ़ाई पूरी नहीं करने का कोई मलाल नहीं है। हां, मैं बीएससी किए बिना भी ये करता तो ज्यादा खुशी होती, क्योंकि मैं तीन साल पहले से ही यह काम शुरू कर सकता था।’

मेडिसिन प्लांट की खेती करने वालों के लिए बाजार की कोई समस्या नहीं होती

अशोक बताते हैं ‘साल 2001 में जब मेरी मुलाकात पतंजलि में मुक्ता जी से हुई तो उन्होंने कहा कि आप जितना भी उगाते हैं पूरा माल हम खरीदेंगे। इसके बाद से वे हमारी पूरी फसल अच्छे दामों में खरीदने लगे। इस दौरान मैंने गांव में ही कई लोगों को मेडिसिनल प्लांट की खेती के लिए प्रेरित किया। हम लोग जिन मेडिसिन प्लांट की खेती कर रहे हैं तो उनके लिए बाजार की समस्या नहीं होती, क्योंकि फार्मेसी कंपनियां किसान से सीधा संपर्क करती हैं और अच्छे दामों में माल खरीदती हैं। आज हालत ये है कि हम कंपनियों की डिमांड भी पूरी नहीं कर पाते हैं।’

तस्वीर में दिख रहे यह शंखपुष्पी के पौधे हैं।

तस्वीर में दिख रहे यह शंखपुष्पी के पौधे हैं।

मैं सरकार से कुछ लेना नहीं, बल्कि देना चाहता हूं

‘हमारी औषधीय पौधों की खेती को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति मेरे पास मेडिसिनल प्लांट के बारे में जानकारी लेने आता है तो मैं उसे हमेशा मुफ्त सला​ह देता हूं। साथ ही कंपनियों से सीधी बातचीत भी करवाता हूं। इसके बदले एक पैसा भी नहीं लेता, क्योंकि मेरा मानना है कि बिना किसान के आयुर्वेद जिंदा नहीं रह सकता है। कई बार मुझे सरकारी मदद भी ऑफर हुई, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं सरकार से कुछ लेना नहीं, बल्कि उन्हें देना चाहता हूं।’

मेडिसिनल प्लांट की खेती से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए आप अशोक चौहान से उनके मोबाइल नंबर (9412708113) पर संपर्क कर सकते हैं।

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