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कन्या राशि में सूर्य होने पर पूजा और स्नान दान से दूर होती हैं परेशानियां, इसे अश्विन संक्राति भी कहते हैं

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  • Worship And Bathing In The Virgo Zodiac Sign Removes Problems From Charity, It Is Also Called Ashwin Sankranti.

3 घंटे पहले

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  • पश्चिम बंगाल और ओडिशा का खास उत्सव है कन्या संक्रांति, दक्षिण भारत में इसे कन्या संक्रमण कहा जाता है

हिंदू सौर कैलेंडर के छठे महीने में कन्या संक्रांति पर्व आता है। सूर्य के राशि बदलने को संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर महीने में राशि बदलता है। इसलिए सालभर में 12 संक्रांति होती हैं। 17 सितंबर यानी आज सूर्य राशि बदलकर कन्या में आ रहा है। इसलिए आज कन्या संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक इस पर्व पर स्नान, दान और पूजा-पाठ करना शुभ माना गया है। कन्या संक्रांति दिवस को विश्वकर्मा पूजा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। दक्षिण भारत में ये पर्व बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि वहां सौर कैलेंडर को ज्यादा महत्व दिया जाता है। वहां संक्रांति को संक्रमण कहा जाता है।

कन्यागत सूर्य पूजा से खत्म होती है परेशानियां
पं. मिश्रा का कहना है कि इस संक्रांति को स्नान, दान के साथ ही पितरों के श्राद्ध के लिए बहुत शुभ माना जाता है। क्योंकि उपनिषदों, पुराणों और स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य कन्या राशि में हो तब किया गया श्राद्ध पितरों को सालों तक संतुष्ट कर देता है। कन्या राशि के सूर्य की पूजा करने से हर तरह की बीमारियां और परेशानियां दूर होने लगती हैं। इसलिए कन्या संक्रांति को अनुकूल समय की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। सूर्यदेव के अश्विन माह में राशि परिवर्तन करने के कारण इस संक्रांति को अश्विन संक्रांति भी कहा जाता है। संक्रांति का पुण्यकाल विशेष माना जाता है और इस पुण्यकाल में पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।

प. बंगाल और ओडिशा में भी खास है कन्या संक्राति
कन्या संक्रांति पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी खास पर्व के जैसे मनाया जाता है। इस पर्व पर विशेष परंपराएं पूरी की जाती हैं। माना जाता है कि कन्या संक्रांति पर पूरे विधि विधान से सूर्यदेव की पूजा की जाए तो हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। कन्या संक्रांति पर जरूरतमंद लोगों की मदद जरूर करनी चाहिए। सूर्य देव बुध प्रधान कन्या राशि में जाएंगे। इस तरह कन्या राशि में बुध और सूर्य का मिलन होगा। इससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा।

  • हर संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। कन्या संक्रांति भी अपने आप में विशेष है। कन्या संक्रांति के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की उपासना की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की उपासना से कार्यक्षमता बढ़ती है। कार्यक्षेत्र और व्यापार में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती है। धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

मेष, कर्क और धनु राशि के लिए शुभ
पं. मिश्रा बताते हैं कि सूर्य के शुभ असर से मेष, कर्क और धनु राशि वाले लोगों के जॉब और बिजनेस में अच्छे बदलाव होने की संभावना है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति और सेहत के लिए भी अच्छा समय शुरू होगा। वहीं, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को संभलकर रहना होगा। सूर्य के शुभ असर से सेहत संबंधी परेशानी दूर होती है। सरकारी काम पूरे हो जाते हैं। जॉब और बिजनेस में तरक्की मिलती है। बड़े लोगों और अधिकारियों से मदद मिलती है। वहीं अशुभ असर के कारण नौकरी और बिजनेस में रुकावटें आती हैं। नुकसान होता है। बड़े लोगों से विवाद होता है। सिर और आंखों से जुड़ी परेशानी होती है। विवाद और तनाव भी रहता है।

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