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- An Interview Of Ramesh Pokhriyal Nishank On National Education Policy 2020| The Advantage Of Online Education Only When Cheap Computers Reach To Village, The 10th 12th Board Examination Will Continue, But It Will Be Made Easier
5 दिन पहले
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नई शिक्षा नीति कैबिनेट से तो पारित हो चुकी है। पर अभी तक आम लोग कई बिंदुओं को लेकर असमंजस में हैं? 10+ 2 की जगह 5 + 3 +3 + 4 की व्यवस्था डिजिटल शिक्षा हो या संकायों की बाध्यता खत्म करना। हमने सभी मुद्दों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से समझने की कोशिश की।
शिक्षा नीति में डिजिटल एजुकेशन में विशेष जोर देने वाले निशंक भी स्वीकार करते हैं कि यह तभी सफल हो सकती है, जब गांव तक डिजिटल भारत अभियान की पहुंच हो और ग्रामीण बच्चों को सस्ते कंप्यूटर उपलब्ध हो। पेश है अमित कुमार निरंजन से बातचीत के अंश…
सवाल: शिक्षा पर जीडीपी का 60% खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कैसे होगा?
जवाब: अगले 10 वर्षों में शिक्षा पर खर्च को बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने की उम्मीद है। विभिन्न क्षेत्रों की फंडिंग और जटिलता को देखते हुए उच्च शिक्षा के लिए एक फंड स्ट्रीम जरूरी है। इसमें उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी के जरिए केंद्र और राज्यों के संस्थानों के लिए सरकार गारंटीकृत ऋण तंत्र विकसित करेगी।
सवाल: गांव में गरीब छात्र मुख्यधारा की पढ़ाई से दूर हो रहे हैं इसे कैसे रोकेंगे?
जवाब: ऑनलाइन और डिजिटल प्रणाली में शिक्षा भविष्य के लिए तैयार करती है। हालांकि, इसका फायदा तभी होगा जब डिजिटल इंडिया अभियान और सस्ते कंप्यूटर की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा सके।
सवाल: 5 + 3 +3 + 4 पद्धति में स्पष्ट नहीं है कि 10वीं- 12वीं बोर्ड होगा या नहीं?
जवाब: 5 + 3 +3 + 4 का सबसे बड़ा फायदा है कि राइट टू एजुकेशन के दायरे में अब 3 से 18 साल के बच्चे आ जाएंगे। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा जारी रखी जाएगी। पर इसे आसान बनाया जाएगा प्रेशर कम करने के लिए दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी।
सवाल: विद्यालय मानक प्राधिकरण निजी स्कूलों की फीस पर लगाम कैसे कसेगा?
जवाब: राज्यों में बनने वाला राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण स्वतंत्र निकाय होगा, जो कोड ऑफ कंडक्ट बनाएगा। जानकारी एसएसएसए की वेबसाइट पर दी जाएगी।
सवाल: संकाय खत्म करने पर आलोचक कहते हैं कि इससे विशेषज्ञ नहीं बनेंगे?
जवाब: ऐसा नहीं है। अब छात्र कई पाठ्यक्रमों की कोर्स कर सकेगा। उदाहरण के लिए आईआईटी दिल्ली से दो पाठ्यक्रम, जेएनयू से तीन और डीयू से एक पाठ्यक्रम करने की छूट होगी। जैसे कोरोनावायरस का मेडिकल पक्ष वैज्ञानिक पक्ष और सामाजिक पक्ष भी है। नई व्यवस्था में छात्र हर पक्ष की पढ़ाई कर सकता है, हालांकि इसे लागू करने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
सवाल: नई शिक्षा नीति कब लागू होगी?
जवाब: सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से परामर्श के बाद रणनीति बनाई जाएगी। कई मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट चलाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े।
सवाल: नई शिक्षा नीति पहुंचा लागू करने में कितना खर्चा आएगा?
जवाब: नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को शिक्षा में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करनी होगी। वर्ष 2020 के लिए 1,13, 684. 51 करोड़ अतिरिक्त राशि वित्त आयोग ने साझा की है।
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