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- Australian High Commissioner Barry O’Farrell Hit Back At Chinese Ambassador To India Sun Weidong For South China Sea
नई दिल्ली11 घंटे पहले
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चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग (बाएं) और ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बरी ओ’फारेल। साउथ चाउना सी पर चीन के दावों को ऑस्ट्रेलिया हमेशा से नकारता रहा है।
- ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बरी ओ’फारेल ने गुरुवार को कहा था- साउथ चाइना सी में चीन की हरकतों को लेकर हम चिंतित
- चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने तथ्यों की अवहेलना की
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बरी ओ’फारेल ने साउथ चाइना सी पर टिप्पणी को लेकर लिए चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन को ऐसे कार्यों से बचना चाहिए, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़े। गुरुवार को ओ’फारेल ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया साउथ चाइना सी में चीन की हरकतों को लेकर चिंतित है। वह इस क्षेत्र के हालात अस्थिर करने और उकसाने में लगा है। संसाधन से संपन्न साउथ चाइना सी एक अहम जल मार्ग है।
इस पर शुक्रवार को चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने तथ्यों की अवहेलना की है। चीन की क्षेत्रिय संप्रभुता और समुद्री अधिकार अंतरराष्ट्रीय नियम के मुताबिक हैं। यह साफतौर पर स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में कौन शांति और सुरक्षा के लिए काम कर रहा है और कौन अस्थिर करने और उकसाने में लगा है।
इस ट्वीट के जवाब में ओ’फारेल ने कहा- भारत में चीन के राजदूत आपका धन्यवाद। मैं उम्मीद करता हूं कि आप अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का 2016 में साउथ चाइना सी पर आए फैसले का पालन करेंगे। साथ ही उन कार्रवाइयों से भी बचेंगे, जिससे आम तौर पर एकतरफा यथास्थिति बदल जाती है।
Thank you @China_Amb_India. I would hope then you follow the 2016 South China Sea Arbitral Award which is final and binding under international law, and also generally refrain from actions that unilaterally alter the status quo. https://t.co/1w2nrcrxhr
— Barry O’Farrell AO (@AusHCIndia) July 31, 2020
कोर्ट ने साउथ चाइना सी पर क्या कहा था
अपने फैसले में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन द सी ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) के तहत गठित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने कहा था कि चीन ने साउथ चाइमा सी में कुछ गतिविधियों को अंजाम देकर फिलीपींस के संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन किया है। फिलीपींस इस मामले को लेकर ट्रिब्यूनल पहुंचा था। साथ ही कहा था कि क्षेत्र में चीन के दावे गैरकानूनी हैं। 2016 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने चीन के खिलाफ फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि समुद्र के जल और संसाधनों पर ऐतिहासिक रूप से किसी एक देश के नियंत्रण के कोई सबूत नहीं हैं। हालांकि, चीन ने फैसले को खारिज कर दिया।
क्या है साउथ चाइना सी विवाद
साउथ चाइना सी का यह इलाका इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच है, जो करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। माना जाता है कि इस इलाके में स्थित पारसेल्स और स्प्रैटिल्स आईलैंड को लेकर विवाद ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक, इन द्वीपों के आसपास प्राकृतिक संसाधनों का भंडार हो सकता है।
यहां कई प्रकार की मछलियां भी पाई जाती हैं। हाल के कुछ सालों में चीन ने इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए बंदरगाह बनाए। साथ ही एक आर्टिफिशियल द्वीप बनाकर सैन्य अड्डे का निर्माण किया। चीन इस इलाके को अपना बताता है और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानने से इनकार करता है।
चीन, ताइवान समेत 6 देशों का दावा
साउथ चाइना सी एशिया के दक्षिण-पूर्व का इलाका है। इस क्षेत्र में चीन के अलावा फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपना दावा करते हैं। चीन इसके दक्षिण हिस्से में है, वहीं ताइवान दक्षिण-पूर्वी भाग पर अपना दावा करता है। इसके पश्चिमी तट पर फिलीपींस है, जबकि पूर्वी तट वियतनाम और कंबोडिया से सटा है। वहीं, उत्तरी हिस्से में इंडोनेशिया है।
साउथ चाइना सी इतना जरूरी क्यों?
कई देशों से जुड़े होने के चलते इस इलाके में जहाजों की आवाजाही भी ज्यादा है। यह दुनिया के सबसे बिजी जल-मार्गों में से एक है। जानकारी के मुताबिक, हर साल इस मार्ग से पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का बिजनेस होता है, जो दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 20% है। यहां पारसेल द्वीप पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैसों का भंडार है। साथ ही इस क्षेत्र में कई प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। बिजनेस के लिहाज से यह इलाका बेहद अहम है।
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