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सिर्फ दवा से एड्स ठीक होने का पहला मामला, दो ड्रग्स के कांबिनेशन से मिला HIV वायरस से छुटकारा

  • ब्राजील की साओ पाउलो की फेडरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया दावा, कहा- दवाओं ने बेहतर काम किया
  • बिना स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, सिर्फ दवाओं से एड्स के वायरस को शरीर से बाहर निकालने का यह पहला मामला

दैनिक भास्कर

Jul 09, 2020, 05:30 AM IST

साओ पाउलो. ब्राजील का एक शख्स एड्स के वायरस से मुक्त हो गया है। यह दावा साओ पाउलो की फेडरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, HIV पीड़ित को कई तरह की एंटीरेट्रोवायरल दवाओं और निकोटिनामाइड ड्रग का कॉम्बिनेशन दिया गया। दावा है कि मरीज वायरसमुक्त हो गया है। शोधकर्ताओं ने मरीज का नाम नहीं बताया है। 

हर दो महीने पर दवा का कॉम्बिनेशन दिया गया
इस बात खुलासा शोधकर्ताओं ने हाल ही में ऑनलाइन हुई एड्स 2020 कॉन्फ्रेंस में किया। शोधकर्ता डॉ. रिकार्डों डियाज के मुताबिक, ब्राजील के शख्स को अक्टूबर 2012 में एचआईवी डायग्नोज हुआ था। ट्रायल में मरीज ने एड्स के इलाज के दौरान ली जाने वाली दवाएं बंद कर दीं। रिसर्च के दौरान मरीज को लम्बे समय तक हर दो महीने पर एंटीरेट्रोवायरल दवाओं और निकोटिनामाइड ड्रग का कॉम्बिनेशन दिया गया। 

एक साल बाद जब मरीज का ब्लड टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट निगेटिव आई। मरीज के शरीर में वायरस को खत्म करने के लिए एंटीबॉडी का स्तर क्या रहा, यह पता नहीं चल पाया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दवाओं के कॉम्बिनेशन ने बेहतर काम किया।

मरीज ने कहा, यह जीवन गिफ्ट जैसा
रिकवरी के बाद मरीज का कहना है कि मुझे दूसरी जिंदगी मिली है। मैं वायरस मुक्त हो गया हूं, लाखों एचआईवी संक्रमित मरीज ऐसा चाहते हैं। यह जीवन एक गिफ्ट जैसा है। 
अगर इस मामले की पुष्टि होती है तो यह एड्स का पहला मामला जो बिना स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के एचआईवी को शरीर से बाहर निकाला गया। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से लंदन के एक इंसान को वायरसमुक्त किया गया था। 

दोबारा वायरस के दिखता है या नहीं, नजर रखी जा रही
शोधकर्ता एडम कास्टिलेजा के मुताबिक, मरीज जिंदा है और वायरस मुक्त है, यह साबित करता है कि एड्स का इलाज किया जा सकता है। फिलहाल विशेषज्ञ इस मामले पर लगातार नजर रख रहे हैं कि ब्राजील के शख्स में दोबारा वायरस मिलने का खतरा है या नहीं। यह आगे होने वाली टेस्टिंग में सामने आएगा। 

दवाओं से सामान्य जीवन जी सकते हैं एड्स के मरीज
शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक बार इंसान संक्रमित हो गया तो एड्स के वायरस एचआईवी को बाहर निकालना या मारना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये ब्लड सेल्स में घर बना लेते हैं। यहां से लम्बे समय तक रहते हैं और दवाओं से अपनी जगह नहीं छोड़ते। दवाओं से सिर्फ संक्रमण को कंट्रोल किया जा सकता है। अगर मरीज ने एक बार दवाएं बंद की तो वायरस खुद को एक्टिवेट करता है और बीमारी दोबारा अपना असर दिखाना शुरू करती है। एडवांस दवाओं से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। 

एक्सपर्ट कमेंट : जानकारी दिलचस्प लेकिन सिर्फ एक ही मामला ऐसा सामने आया है
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की एड्स स्पेशलिस्ट डॉ. मोनिका गांधी के मुताबिक, यह जानकारी काफी दिलचस्प है लेकिन अभी शुरुआती स्तर पर है क्योंकि ऐसा सिर्फ एक इंसान के साथ हुआ है। 4 अन्य लोगों को यही ट्रीटमेंट दिया गया लेकिन वो सफल नहीं हुआ।  
यह तरह का पायलट प्रोजेक्ट है एचआईवी वायरस को तत्काल खत्म करने का तरीका नहीं है।

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