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विकास दुबे के घर के मलबे से मिली कई फर्जी आईडी और बम; गुर्गों से संपर्क के लिए घर में बना रखा था वायरलेस कंट्रोल रूम

  • विकास पर ढाई लाख का इनाम, 40 पुलिस टीमें तलाश में जुटीं; उसके गांव में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
  • विकास के ढहाए गए घर के मलबे से कई जाली दस्तावेज मिले, इनका इस्तेमाल जमीन की खरीद-फरोख्त में होता था

दैनिक भास्कर

Jul 07, 2020, 03:48 PM IST

कानपुर. कानपुर के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और पुलिस के बीच मुठभेड़ के 4 दिन पूरे हो चुके हैं। विकास का पांचवें दिन भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। उस पर अब तक ढाई लाख रु. का इनाम घोषित किया जा चुका है। यूपी एसटीएफ और कानपुर मंडल की 40 टीमें उसकी तलाश में लगी हैं। 

पुलिस टीम मंगलवार को उसके घर के मलबे की जांच करने पहुंची। यहां उसके हाथ कुछ सबूत लगे। मलबे से कई फर्जी आईडी और बम मिले हैं। फर्जी आईडी का इस्तेमाल विकास जमीनों की खरीद-फरोख्त में करता था। उसने अपने गुर्गों से संपर्क करने के लिए घर में ही वायरलेस कंट्रोल रूम बना रखा था।
विकास ने अपने गुर्गों, रिश्तेदारों और नौकर-नौकरानी के नाम से कई चल और अचल संपत्तियां खरीद रखी थीं। पुलिस की जांच के दायरे में अब बैंक और फाइनेंस कंपनियां भी आ रही हैं।

बिकरू गांव का आंखों देखा हाल

भास्कर की टीम मंगलवार को बिकरु गांव पहुंची। यहां हत्याकांड के बाद से अब तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं। डर और आशंकाओं के बीच गांव की गलियां सूनी हैं। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।शनिवार को प्रशासन ने घर में बंकर बनाए जाने और असलहे छिपाकर रखे जाने की आशंका के चलते विकास का किलेनुमा घर ढहा दिया था, उसका मलबा अभी जस का तस पड़ा है। 150 पुलिसकर्मी गांव के चप्पे-चप्पे पर मुस्तैद हैं।

गैंगस्टर विकास दुबे के घर के रास्ते में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है। इस सड़क पर आने-जाने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है। यह पुलिस वाले अलग-अलग थानों के हैं, जिनकी ड्यूटी लगाई गई है। महिलाएं कुछ भी नहीं बोलती हैं।

बस यही बोला कि करीब 20 घरों के मर्द डर के मारे फरार हैं। घर में केवल औरतें ही हैं। यह कहते हुए हड़बड़ाहट में बुजुर्ग महिला घर की ओर बढ़ गई। आगे विकास के घर के आसपास जिन घरों से पुलिस टीम पर हमला किया गया था, वे सभी घर बंद मिले। 

गांव में विकास के नाम पर शिलापट।

जिस घर में डीएसपी की हत्या हुई, वह भी बंद पड़ा
विकास के घर के ठीक सामने उसके मामा प्रेम कुमार पांडेय का घर है। शुक्रवार सुबह पुलिस ने प्रेम प्रकाश और अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था। प्रेम के घर में ही डीएसपी देवेंद्र मिश्र की हत्या की गई थी। अब यह घर वीरान पड़ा है। परिवार कानपुर चला गया है जबकि बेटा शशिकांत अभी भी फरार है। हालांकि, विकास के घर के सामने पुलिसवालों का जमावाड़ा लगा है, लेकिन ग्रामीण कोई नजर नहीं आया। 

पुलिस की कार्रवाई से डरकर भागे लोगों के घरों में लगे ताले।

विकास के घर के पीछे चहल-पहल
विकास के घर के पीछे बने घरों में जरूर चहल-पहल दिखी। महिलाएं गाय-गोबर हटाने का काम करती दिखीं। पुरुष और युवा घर के बाहर चहलकदमी करते मिले। हालांकि, कोई भी बात करने को राजी नहीं था। दरवाजे पर बैठे एक बुजुर्ग से जब घटना वाली रात के बारे में जानने की कोशिश की गई तो वे बोले कि हमें कुछ पता नहीं चला। जब सुबह पुलिस आई, तभी पता चला है। 

खेल के मैदान में भी सन्नाटा
गांव के बाहर ही एक बड़ा-सा मैदान है। यहां बच्चे दिनभर कुछ न कुछ खेला करते हैं। मंगलवार को यहां सन्नाटा पड़ा था। मैदान में पुलिस की गाड़ियां खड़ी हैं। जबकि बच्चे घरों में दुबके हुए हैं। गांव की मुख्य सड़क के दूसरी ओर तालाब के किनारे कुछ घर बने हैं। वहां से भी मर्दों को पुलिस उठा ले गई है।

उन घरों की महिलाएं मीडिया वालों से ही सलाह लेती दिखीं कि हमारा घर तो विकास के घर से बहुत दूर है और हमारे घर के मर्द तो उस समय सो रहे थे तो क्या पुलिस पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ देगी?

गांव में मुस्तैद पुलिसबल।

बिकरु गांव छावनी बना, गांव वालों से पूछताछ हो रही
गांव में इस समय पुलिस ही पुलिस दिखाई पड़ रही है। पुलिस गांव के कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है। विकास के संपर्क में रहने वाले लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। उनकी तलाश भी हो रही है। लेकिन पुलिस को अभी तक ऐसा कोई सबूत नही मिला, जिससे विकास की कोई ठोस लोकेशन मिल सके। 

गांव की सूनी पड़ी गली।

गांव की जातीय राजनीति को हवा देकर विकास ने दबदबा बनाया था
विकास का बिकरु गांव ब्राह्मण बाहुल्य है। इन परिवारों के लिए विकास मदद करने को तत्पर रहता था। गांव में पिछड़ी जातियां भी हैं। विकास इनकी भी हर दुख-दर्द में मदद करता था। इस वजह से विकास का गांव में सिक्का चलता था। लेकिन, गांव के ही कुछ मुस्लिम परिवारों से उसकी नहीं बनती थी।

गांव के ही एक बुजुर्ग ने बताया कि अपने अहाते में ही विकास कचहरी लगाकर गांव के छोटे-बड़े मामलों का निपटारा करता था। ब्राह्मणों और पिछड़ी जातियों का वोटबैंक भी अपने इशारे पर वह चुनाव में प्रयोग करता था। इस वजह से उसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त होता था।

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