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फर्जी नियुक्ति के मामले में नरेंद्र देव विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज, अभिलेखों में हेराफेरी का आरोप

  • ट्रेनिंग एसोसिएट के पदों पर हुई नियुक्ति की विजिलेंस ने की थी जांच
  • जांच में यह बात सामने आई है कि दस्तावेजों में हेराफेरी की गई थी

दैनिक भास्कर

Jun 30, 2020, 04:13 PM IST

अयोध्या. उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में स्थित नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद के पूर्व कुलपति समेत चार लोगों के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज  किया गया है। तत्कालीन कुलपति बीबी सिंह के अलावा वरिष्ठ लिपिक ओम प्रकाश गौड़, विषय वस्तु विशेषज्ञ फसल सुरक्षा डॉ प्रमोद कुमार, वस्तु विशेषज्ञ सुरक्षा विनोद कुमार सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।

आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) सपठित धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज होगा। वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र बसुली के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार सिंह और सीतापुर के अंबरपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वस्तु विशेषज्ञ (फसल सुरक्षा) के खिलाफ भी केस दर्ज करने की संस्तुति की गई थी। 

विश्वविद्यालय में वर्ष 2001 व 2003 में ट्रेनिंग असोसिएट( प्लांट प्रोटेक्शन) के पद पर हुई भर्तियों के मामले में विजिलेंस ने जांच की थी। जांच में सामने आया था कि चयन समिति ने अभिलेखों में हेराफेरी कर फर्जी दस्तावेजों के जरिए फर्जी चयन सूची जारी कर नियुक्ति की थी।

पूर्व कुलपति पर लगा फर्जी नियुक्ति की आरोप 

दरअसल तत्कालीन वीसी  बीबी  सिंह के खिलाफ दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने प्रबंध समिति द्वारा चयनित फसल सुरक्षा विशेषज्ञों की सूची में चयनित अभ्यर्थियों का नाम सफेदा लगाकर मिटाकर अपने चहेते प्रमोद कुमार सिंह का नाम अंकित कर बाद में उसके नाम नियुक्त पत्र भी जारी कर दिया।

दर्ज रिपोर्ट में बताया गया है कि यह मामला 2016 -17 का है जब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में विनोद कुमार सिंह बनाम एनडी यूनिवर्सिटी  के नाम पर दायर  याचिका में प्रदेश के सतर्कता अधिष्ठान को मामले की खुली जांच करने का आदेश जारी किया था। यह जांच सतर्कता अधिष्ठान के अयोध्या सेक्शन को सौंपी गई। जिसकी जांच रिपोर्ट पर पुलिस अधीक्षक सतर्कता ने जांच की अंतिम रिपोर्ट शासन को 7 जनवरी 2020 को भेजा। जिसमें अभिलेखों व मौखिक साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन वीसी ,बीवी सिंह के खिलाफ उनके कार्यकाल 2001 से 2003 के बीच ट्रेनिंग एसोसिएट प्लांट प्रोटक्शन पद नियुक्तियां की गई थी। जिसमें से उनके काल में 3 नाम चयनित किए गए थे।

अरविंद कुमार सिंह ,रूद्र प्रताप सिंह एक तीसरे अभ्यर्थी का चयन प्रबंध समिति ने किया था। जिसका अनुमोदन 26 फरवरी 2014 को वीसी सिंह के पास भेजा गया ।आरोप है उन्होंने  पत्रावली में क्रम संख्या तीन पर अंकित व्यक्ति के नाम को सफेदा लगाकर मिटाया और उसके स्थान पर प्रमोद कुमार सिंह  का नाम अंकित कर दिया ।इस तरह से लाभ पहुंचाने के लिए कूट रचना और सरकारी अभिलेखों  में हेराफेरी का मामला जांच में सामने आया था। 

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