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पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने व कथित भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की मांग, हाईकोर्ट में 7 जुलाई को होगी सुनवाई

  • सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याचियों की अपील को खारिज करते हुए प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी थी
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि था परीक्षाओं के प्रश्नों को चुनौती देना एक कल्चर बन गया है जो ठीक नहीं है

दैनिक भास्कर

Jun 25, 2020, 11:48 AM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मामले में अब नया मोड़ आ गया है। इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर इसमें हुए कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच कराई जाए। कोर्ट ने याची की अर्जी को स्वीकार करते हुए पूरे मामले पर सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तिथि निश्चित की है। 

यह आदेश जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने अजय कुमार ओझा एवं अन्य की ओर से दायर एक सर्विस रिट याचिका पर याचिकाकर्ताओं व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की सहमति से पारित किया। 

याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। परीक्षा के बाद शिकायत मिलने पर पेपर लीक के संबध में एसटीएफ तथा केंद्र अधीक्षकों द्वारा प्रदेश के कई स्थानों पर  मुकदमें दर्ज हुए हैं जिससे व्यापक स्तर पर  पर्चा लीक होने की बात साबित होती है। कहा गया कि इस मामले की विवेचना कर रही जो कि अभी भी प्रचलित है। यह भी आरेाप लगाया कि एसटीएफ सरकार के दबाव करती प्रतीत होती है।

इस आधार पर याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा निरस्त करने तथा पूरे प्रकरण की जाचं सीबीआई से कराने की मांग की गई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इस प्रकरण में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह बहस करेंगे। अतः मामले की अगली सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद नियत की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज किया था

बुधवार को ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा में गलत प्रश्नों के विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अभ्‍यर्थियों की याचिका को सुनने से ही इनकार कर दिया था। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पूरे देश की सभी परीक्षाओं में उत्तरमाला को चैलेंज करने का कल्चर बन गया है। याची चाहें तो हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। दरअसल याचियों ने हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी थी।

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