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मांग में गिरावट, नौकरी में कमी और खर्च में कटौती से देश की जीडीपी 6.4 प्रतिशत तक कम हो सकती है,

  • एंटरटेनमेंट, ट्रैवेल और टूरिज्म को कोरोना के पहले के स्तर तक पहुंचने में समय लगेगा
  • रिपोर्ट के अनुसार, इस बार त्यौहार के समय भी लोग कम खर्च से काम चलाना चाहेंगे

दैनिक भास्कर

Jul 02, 2020, 05:16 PM IST

मुंबई. देश में अभी भी लगाए गए विभिन्न प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था 5 प्रतिशत के अनुमानित स्तर से अधिक सिकुड़ सकती है। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से आर्थिक संकट के समय मांग में गिरावट, नौकरी में नुकसान होने और खर्च करने में कमी जीडीपी 6.4 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

आर्थिक सेक्टर की दो तिहाई कंपनियां 50-70 प्रतिशत क्षमता पर काम करेंगी

रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक सेक्टर्स की दो तिहाई कंपनियां तीसरी तिमाही के अंत तक 50-70 प्रतिशत क्षमता पर काम करेंगी। बाकी सेक्टर्स इस स्तर तक भी नहीं पहुंच सकते हैं। हॉस्पिटैलिटी, पर्यटन, एंटरटेनमेंट और ट्रैवेल जैसी सेवाओं को कोरोना से पहले के स्तर पर पहुंचने में लंबा समय लगने का अनुमान है। इससे संकट में इजाफा ही होगा।

कृषि क्षेत्र में अच्छी वृद्धि होने का अनुमान

हालांकि यह अनुमान लगाया गया है कि कृषि क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि होगी, लेकिन कृषि के ज्यादा उत्पादन से किसानों की आय नहीं बढ़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अतिरिक्त आपूर्ति से कीमतों में कमी आ सकती है। इसलिए ग्रामीण खपत बढ़ने से गैर-कृषि क्षेत्र में कम खर्च की भरपाई नहीं हो सकेगी। केयर की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण खपत बढ़ने से गैर-कृषि क्षेत्र में होने वाले कम खर्च की भरपाई नहीं हो सकेगी।

कई सेक्टर में 8.5 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट की आशंका

केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मैन्यूफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली सहित सेकंडरी सेक्टर में वित्त वर्ष 2021 में 9.5 प्रतिशत की तेज गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। मैन्यूफैक्चरिंग सहित सेवा क्षेत्र इसी अवधि में 6.5 प्रतिशत तक सिकुड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरी में नुकसान और वेतन में कटौती से लोगों को त्योहारों के दौरान भी कम खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

बाजार को भी लगा है झटका

रेटिंग एजेंसी ने मई में लगभग 1.6 प्रतिशत के वार्षिक गिरावट की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, अर्थव्यवस्था में जारी संकट की आशंका के तहत इसने अनुमानों को काफी बदला है। भारत की अर्थव्यवस्था कम से कम तीन साल से कम मांग के चलते कई निगेटिव जोखिमों का सामना कर रही है। कोरोनावायरस महामारी के प्रभाव ने बाजार को और झटका दिया है। इससे निकट भविष्य में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है।

हालांकि, जैसे ही भारत ने लॉकडाउन प्रतिबंधों से बाहर कदम रखा है रिकवरी की हरी झंडी भी दिखाई देने लगी है।

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