- रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी
- रेलवे ने कहा प्राइवेट क्षेत्र की ओर से 30,000 करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता
दैनिक भास्कर
Jul 01, 2020, 08:37 PM IST
नई दिल्ली. भारतीय रेलवे द्वारा बुधवार को बड़ा फैसला लिया गया है। रेलवे ने पैसेंजर ट्रेन सर्विस ऑपरेट करने के लिए प्राइवेट पार्टी के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। देश में 109 डेस्टिनेशन रूट पर प्राइवेट कंपनियां ट्रेन ऑपरेट कर पाएंगी। इसमें 30 हजार करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। रेल मंत्रालय ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन (RFQ) मंगाया है। पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी। इन सभी ट्रेनों में कम से कम 16 कोच होंगे।
Railways invites Request for Qualifications for private participation for passenger train operations on 109 pairs of routes through 151 modern trains.
This initiative will boost job creation, reduce transit time, provide enhanced safety & world-class facilities to passengers. pic.twitter.com/uG2dhdbG3b
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 1, 2020
ये ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी
बता दें कि हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी और यह ट्रेन अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटीनेंस उसी का होगा। रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड देगा। भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट 35 साल के लिए है। प्राइवेट पार्टी को एनर्जी और हौलेज चार्ज खपत के हिसाब से देना होगा।
30,000 करोड़ रूपए के निवेश की होगी जरूरत
यात्री रेलगाड़ियों के संचालन में निजी कंपनियों की भागीदारी की परियोजना में निजी क्षेत्र की ओर से करीब 30,000 करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी। रेलवे इसके जरिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी को सामने लाने की योजना बना रही है। इससे रेलवे का मेंटिनेंस का बोझ कम होगा। इससे ट्रांजिट टाइम में भी कमी आएगी। रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, सेफ्टी का भरोसा मजबूत होगा और यात्रियों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवल का अनुभव होगा।
सभी ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाई जाएंगी
रेलवे के मुताबिक सभी ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाई जाएंगी। जिन कंपनियों को मौका मिलेगा उन्हें फाइनेंस, खरीद, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदार संभालनी होगी। इसका कंसेशन पीरियड 35 साल का हो सकता है। ग्रॉस रेवेन्यू का बंटवारा कमाई के रूप में होगा।