- सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे मंत्रिमंडल गठन का नया फार्मूला लेकर भोपाल आएंगे
- फाॅर्मूले के तहत नए चेहरों को शामिल किया जाएगा, वरिष्ठ विधायकों को भी एडजस्ट किया जा सकता है
दैनिक भास्कर
Jul 01, 2020, 02:38 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश में शिवराज की मिनी कैबिनेट बनने के 71 दिन बाद गुरुवार यानी 2 जुलाई को मंत्रिमंडल का पहला विस्तार होने जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को खुद इस बारे में जानकारी दी। पिछली बार 5 मंत्रियों वाली मिनी कैबिनेट ने 21 अप्रैल को शपथ ली थी। नई कैबिनेट में मंत्रियों के नामों को लेकर आ रही खींचतान की खबरों पर बुधवार को मीडिया ने शिवराज से सवाल किया। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मंथन होता है, अमृत निकलता है। अमृत तो बंट जाता है, लेकिन विष शिव पी जाते हैं।’’
कहा जा रहा है कि शिवराज कैबिनेट में कुछ वरिष्ठ विधायकों को लेना चाहते हैं, जो उनकी पिछली सरकारों में भी मंत्री रहे हैं, लेकिन पार्टी संगठन नए चेहरों को मौका देना चाहता है। पार्टी में इसे लेकर कुछ तो पक रहा है। शिवराज ने मंगलवार को एक शायराना ट्वीट किया था, यह भी कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है।
आये थे आप हमदर्द बनकर,
रह गये केवल राहज़न बनकर।पल-पल राहज़नी की इस कदर आपने,
कि आपकी यादें रह गईं दिलों में जख्म बनकर।— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 30, 2020
आनंदीबेन आज शपथ लेंगी, कल विस्तार
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल आज मध्य प्रदेश की प्रभारी राज्यपाल के तौर पर शपथ लेंगी। इसके बाद कल नए मंत्रियों का शपथ समारोह होगा।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी मंत्रिमंडल गठन का नया फॉर्मूला लेकर भोपाल आएंगे
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे दोपहर में मंत्रिमंडल गठन का एक नया फाॅर्मूला लेकर भोपाल आ रहे हैं। इस फाॅर्मूले के तहत मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने के साथ वरिष्ठ विधायकों को भी एडजस्ट किया जाएगा। सहस्त्रबुद्धे वरिष्ठ विधायकों को वन-टू-वन चर्चा करने के लिए पार्टी ऑफिस बुला सकते हैं। इसके बाद भी कोई सहमति नहीं बनती है, तो मुख्यमंत्री एक बार फिर रात को दिल्ली जा सकते हैं।
उप-मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पर पेंच फंसा
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री पद का मुद्दा भी नहीं सुलझा है। शिवराज सिंह पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को विधानसभा अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है। अगर भार्गव को मंत्री बनाया गया तो सीतासरन शर्मा को दोबारा विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
दो उप-मुख्यमंत्रियों पर भी असमंजस
दो उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी अब तक सत्ता और संगठन के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने सिंधिया खेमे से कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को उप-मुख्यमंत्री बनाने का विकल्प प्रदेश नेतृत्व को दिया है, मगर इस पर भी सहमति नहीं बन पाई।
सिंधिया एक भी पद छोड़ने के मूड में नहीं
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने अपने समर्थकों को मंत्री बनाए जाने के लिए जितने पद मांगे थे, उसमें से वे एक भी पद कम करने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप डंग और रणवीर जाटव को भी पार्टी मंत्री बनाने का भरोसा दे चुकी है। ऐसा ही निर्दलीय प्रदीप जायसवाल और बसपा के संजीव कुशवाह के साथ भी किया गया है। लिहाजा, कैबिनेट का आकार और बढ़ सकता है। देर शाम को मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के बीच पार्टी दफ्तर में इस मुद्दे पर करीब एक घंटे तक बात हुई है।
मार्च में सियासी उलटफेर, भाजपा की सरकार के 100 दिन पूरे
राज्य में मार्च महीने में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में आए। उनके समर्थन में 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को पद से इस्तीफा देना पड़ा। 23 मार्च को शिवराज ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 21 अप्रैल में 5 मंत्रियों को शपथ दिलाकर मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल का गठन किया। इन 5 में से 2 मंत्री सिंधिया खेमे से हैं।