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आज का जीवन मंत्र:पूजा करते समय ऐसे काम करने का संकल्प लेना चाहिए जिससे समाज की भलाई होती है

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  • Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Story Of Lord Shiva And Brahma, Motivational Story About Worship To God

6 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता

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कहानी – एक बार छह महर्षि आपस में इस बात के लिए विवाद करने लगे कि मुक्ति यानी शांति किस परम शक्ति से मिल सकती है, वो कौन सा स्वरूप होगा जो शांति प्रदान करता है?

सभी ऋषि मुनि ये बहस करते-करते ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने सभी की बात सुनकर कहा, ‘मुक्ति का अर्थ होता है, बुरी आदतों से मुक्ति। शांति प्राप्त हो जाना ही मुक्ति है। इसके लिए आप लोगों को शिव जी के चरित्र को जानना चाहिए। उनकी पूजा करनी चाहिए।’

ऋषियों ने पूछा, ‘शिव जी की पूजा कैसे की जाए?’

ब्रह्मा जी बोले, ‘श्रवण, मनन और कीर्तन, ये तीन तरीके हैं शिव पूजा के। श्रवण यानी अच्छी कथा सुनें। फिर उसका चिंतन करें। कीर्तन का अर्थ होता है किसी भजन के माध्यम से परमात्मा का ध्यान करना।’

महर्षियों ने कहा, ‘अगर ये तीन काम कोई न कर सके, तब वह क्या करे?’

ब्रह्मा जी ने कहा, ‘शिव जी के लिंग स्वरूप का पूजन करें। शिवलिंग का पूजन जल चढ़ाकर भी कर सकते हैं।’

सीख – ब्रह्मा जी की बात का अर्थ ये है कि शिव जी कल्याण के देवता हैं। दूसरों का भला चाहना ही शिव जी का मूल स्वभाव है। शिवलिंग पर जब जल चढ़ाया जाता है तो ये अनुशासन की एक क्रिया है। इस क्रिया से हमारे मन में भाव जागता है कि हमने जो कुछ भी अपने परिश्रम से प्राप्त किया है, उसको अर्पित कर रहे हैं। हम ये सब इसलिए अर्पित कर रहे हैं कि हमारे परिश्रम से, हमारी कीर्ति से, हमारे प्रयासों से दूसरों की भलाई हो। दूसरों की मदद हो सके।

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