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- Questions Arising On Taking Help From Nestle In Formulating Food Safety Policy; The Company Has Accepted 30% Of The Indulgent Food Product As Unhealthy.
नई दिल्ली10 घंटे पहले
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नेस्ले ने माना फूड प्रोडक्ट्स का 30% हिस्सा अनहेल्दी।
मैगी, किटकैट जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी नेस्ले खुद मानती है कि उसके इंडलजेंट फूड प्रोडक्ट्स का 30% हिस्सा अनहेल्दी है। दूसरी ओर, कंपनी अपने एक इंस्टीट्यूट के जरिए भारत के फूड नियामक एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को खाद्य उत्पादों से जुड़े नियम-कायदे बनाने में मदद करती है। हितों के टकराव के इस बड़े मामले को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नाम पर अनदेखा किया जा रहा है।
नेस्ले ने फूड सेफ्टी इंस्टीट्यूट सितंबर 2017 में शुरू किया था। इसका मकसद ही देश की पूड सेफ्टी पॉलिसी बनाने में एफएसएसएआई की मदद करना था। विशेषज्ञ कहते हैं कि स्टेक होल्डर्स की बैठक में इंडस्ट्री के लोग आते हैं, तो परेशानी की बात नहीं है। लेकिन कोई इंडस्ट्री ही पॉलिसी बनाने में गाइड करने लगे तो यह चिंता की बात है, क्योंकि वह कभी ऐसी सिफारिश नहीं करेगी, जिससे इंडस्ट्री की चुनौती बढ़ती हो।
ब्रेस्टफीड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आईबीएफएन) के समन्वयक डॉ. अरुण गुप्ता कहते हैं, ‘कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र एक्सपर्ट के बजाय इंडस्ट्री एक्सपर्ट की सेवाएं लेने के लिए एफएसएसएआई पर सख्त टिप्पणी की थी।’ इस बारे में पक्ष जानने के लिए नेस्ले इंडिया से संपर्क किया गया, लेकिन जवाब नहीं दिया।
नेस्ले इंस्टीट्यूट की जांच होनी चाहिए कि वह क्या कर रहा
- डब्ल्यूएचओ, ओईसीडी देशों में ‘हितों के टकराव’ से जुड़े सख्त कानून हैं, पर भारत में ऐसा नहीं है। कंपनियां इसका फायदा उठाती हैं। नेस्ले की जांच होनी चाहिए। – डॉ. अरुण गुप्ता, आईबीएफएन
फूड पॉलिसी बनाते समय सरकार सतर्कता बरते
- स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ा मामला है। ऐसे में फूड संबंधित पॉलिसी बनाते समय सरकार को बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए कि कहीं वह पॉलिसी इंडस्ट्री के ज्यादा पक्ष में न हो। – अमित खुराना, प्रोग्राम डायरेक्टर, सीएसई