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कोराेना के चलते निर्यात पर फिर संकट: बेमौसम बारिश, ज्यादा तापमान से आम की फसल का 40% उत्पादन कम, निर्यात अटकने से देश में रहेगी बहार

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औरंगाबाद/लखनऊ2 घंटे पहले

कॉपी लिंकऔरंगाबाद में अस्थायी मंडी में बिक रहा आम। - Dainik Bhaskar

औरंगाबाद में अस्थायी मंडी में बिक रहा आम।

महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश, ज्यादा तापमान से 40 फीसदी कम उत्पादन के बावजूद इस बार फलों के राजा आम का दाम कम रहेगा। पिछले वर्ष पांच दर्जन अल्फांसो (हापुस) पेटी 2000-2200 रुपए में थी। इस बार दाम 2200-2400 रुपए के बीच रहने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं बंद होने से बाहर जाने वाला आम देश में खपाया जाएगा। उत्तर प्रदेश से भी निर्यात ठप रहने की आशंका है।

इससे लंगड़ा, चौसा और दशहरी जैसे आम जो पिछले साल 40 से 50 रुपए किलो थे, इस बार भी इसी दाम पर मिलेंगे। नेशनल मैंगो डेटाबेस के मुताबिक दुनिया का 45% आम भारत में होता है। सबसे पसंद किए जाने वाले आमों में शुमार हापुस का 80 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगड, ठाणे, पालघर और कर्नाटक के कुछ जिलों में होता है।

कोंकण हापुस उत्पादक संघ की नेहा कुलकर्णी ने बताया, पांच दर्जन की पेटी इस बार भी 2000 से 2200 रुपए में है। डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट महंगा हुआ है। इसलिए प्रति पेटी 200 रुपए बढ़े हैं। सिंधुदुर्ग के किसान मोहन जोशी ने बताया, मार्च में कोंकण का औसत तापमान 34-42 डिग्री सेल्सियस रहने से फल पकने से पहले गिर गए।

इससे 30-40 फीसदी फसल खराब हो गई। दिसंबर में हुई बेमौसम बारिश ने भी नुकसान पहुंचाया। इससे दाम बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय सेवा बंद होने से यहां दाम नहीं बढ़ेंगे। औरंगाबाद के व्यापारी शीतल रुद्रावार कहते हैं, पिछले साल के लॉकडाउन को देखते हुए हमने किसानों के साथ मिलकर नेटवर्क बनाया है। फेसबुक और वाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर सैकड़ों ग्रुप और पेज बने हैं। कुछ एप भी हैं। किसान माल की जानकारी पोस्ट करते हैं। व्यापारी अपनी जरूरत बताते हैं और ऑनलाइन पैसा जमा करते ही स्पलाई भेज दी जाती है।

400 करोड़ रुपए का सालाना एक्सपोर्ट2014-15 में 28 यूरोपीय देशों ने हापुस के एक्सपोर्ट पर बंद कर दिया था। हालांकि 2015-16 से एक्सपोर्ट फिर शुरू हुआ। हर वर्ष करीब 50 हजार टन आम दुबई, यूएई, ओमन, चीन, यूरोपियन यूनियन, जपान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और नीदरलैंड जाता है। छह हजार मीट्रिक टन केवल यूएई, दुबई, ओमन, अमेरिका जाता है।

यूपी के आमों की सबसे ज्यादा मांग यूरोपीय देशों और दुबई, यूएई, बहरीन में है। उप्र मैंगो एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष नदीम सिद्दिकी ने बताया, पिछले साल प्रदेश के आम निर्यातकों के पास मध्य पूर्व के देशों से 800 टन का आर्डर था। इस बार पाकिस्तानी रुपए की वैल्यू कम होने से वहां का आम खाड़ी देशों के को सस्ता पड़ेगा।

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