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Hindi NewsLocalMpBhopalGurunanak Dev Came To The Tekri Sahib Gurdwara Of Bhopal 500 Years Ago, Where He Did The Leper, The Footprints Of Guru Nanak Devji Were Present There
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भोपाल11 मिनट पहलेलेखक: राजेश गाबा
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ईदगाह हिल्स में बने टेकरी साहब गुरूद्वारे में गुरुनानक देव जी के पैरों के निशान। जहां गुरुनानक देव जी 500 साल पहले आकर रुके थे। यहां सिख और दूसरे समुदाय के लोग माथा टेकते हैं।
सिखों के पहले गुरु नानक देव जी जिस स्थान पर भोपाल में रूके आज वहां है टेकरी साहिब गुरुद्वाराजिस कुंड के पानी से नानकजी ने कोढ़ी का कोढ़ ठीक किया, अब वहां है बाउली साहिब गुरुद्वारा, दूर-दूर से आते हैं लोग दर्शन के लिए
आज गुरु नानक देवजी का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी विश्व के अनेक भागों में मानवता का प्रचार करते हुए लगभग 500 साल पहले भोपाल आए थे।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, जिस स्थान पर वो रुके थे, वहां उन्होंने एक कुष्ठ रोगी का कोढ़ भी ठीक किया था। जिस स्थान पर गुरुनानक जी बैठे थे, वहां आज गुरुद्वारा टेकरी साहिब बना। जहां आज भी गुरुनानक देव जी के पैरों के निशान मौजूद हैं। जहां दुनियाभर से सिख और दूसरे समुदाय के लोग आकर माथा टेकते हैं। इसलिए आज गुरुनानक जयंती पर सर्वाधिक आस्था व आकर्षण का केंद्र ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारा रहेगा।
ईदगाह हिल्स में बना टेकरी साहिब गुरुद्वारा। जहां गुरुनानक देवजी 500 साल पहले आकर रुके थे।
ये कथा है प्रचलित
ईदगाह हिल्स स्थित टेकरी साहिब गुरुद्वारे के सेवादार बाबू सिंह ने बताया कि गुरुनानक देव भारत यात्रा के दौरान लगभग 500 साल पहले भोपाल आए थे। तब वे यहां ईदगाह टेकरी पर कुछ समय रुके थे। यहां एक कुटिया में गणपतलाल नाम का व्यक्ति रहता था, जिसे कोढ़ था। पीर जलालउद्दीन के कहने पर वह उस समय यहां आए गुरुनानक देव से मिला और उनके चरण पकड़ लिए।
गुरुनानक देवजी ने 500 साल पहले इसी स्थान पर कोढ़ी गणपतलाल का कोढ़ ठीक किया था। ये गणपतलाल की कुटिया है। जो अब ईदगाह हिल्स गुरुद्वारे में है।
जिस कुंड के पानी से नानकजी ने कोढ़ी का कोढ़ ठीक किया, वह अब भी मौजूद
गुरुनानक देवजी ने अपने साथियों से पानी लाने को कहा था तो वे पानी खोजने निकल गए, लेकिन आसपास पानी नहीं मिला तो उन्होंने फिर से भेजा। इस बार वो पहाड़ी से नीचे उतरे तो उन्हें वहां एक जल स्रोत फूटता दिखाई दिया। इस जल को उन्होंने गणपत के शरीर पर छिड़का तो वह बेहोश हो गया। जब उसकी आंख खुली तो नानकजी वहां नहीं थे, लेकिन वहां उनके चरण बने दिखाई दिए और गणपतलाल का कोढ़ भी दूर हो चुका था। तेजकुलपाल सिंह कहते हैं कि इसका उल्लेख दिल्ली व अमृतसर के विद्वानों व इतिहासकारों ने भी कई जगह किया है।
जिस कुंड के पानी से नानकजी ने कोढ़ी का कोढ़ ठीक किया, वह अब भी मौजूद, अब वहां है बाउली साहिब गुरुद्वारा, दूर-दूर से आते हैं लोग दर्शन के लिए। रामनगर के उसी कुंड में अरदास करते श्रद्धालु।
आज आज भी निकल रहा है जल
बाउली साहिब गुरुद्वारे की सेवादार जसविंदर कौर ने बताया कि जिस स्थान पर गुरुनानक देव जी बैठे थे। उनके चरणों के निशान बने, वहां ईदगाह हिल्स पहाड़ियों में गुरुद्वारा टेकरी साहिब बना। जिस स्थान से जल निकला। वो स्थान बाउली साहब कहलाया। जहां बाउली साहब गुरुद्वारा बना। पानी का वो स्राेत आज भी मौजूद है। जहां से जल निकला और आज भी निकल रहा है। उसे चारों तरफ से कवर कर दिया है। यहां सिख धर्म के लोग आते हैं। यहां माथा टेकते हैं। इस जल को प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं।
भोपाल नवाबों ने दी थी गुरुद्वारा के लिए जमीन
प्रबंधक कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष परमवीर सिंह ने बताया कि सरदार गुरुबख्श सिंह ने नवाबी रियासत में ही इस जगह को गुरुद्वारा के लिए ले लिया था। उन्होंने बताया कि गणपतलाल की कुटिया स्थली, जल स्रोत कुंड व चरण चिह्न अब भी मौजूद हैं, जिन्हें कवर्ड कर संरक्षित किया जा चुका है।
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