May 11, 2024 : 3:32 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

बिठूर में है वाल्मीकि का आश्रम, यहीं हुई थी रामायण महाकव्य की रचना, लव-कुश ने किया था श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान से युद्ध

  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Valmiki’s Ashram, Valmiki’s Ashram Is In Bithoor, It Was Here That Ramayana Mahakavya Was Composed And Lav Kush Fought With Sri Ram, Laxman And Hanuman

5 घंटे पहले

  • अयोध्या के बाद वाल्मीकि आश्रम में बीता देवी सीता का जीवन, यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म
Advertisement
Advertisement

5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम के जन्म स्थान पर मंदिर का भूमि पूजन हो रहा है। वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को श्रीराम का जन्म स्थान बताया गया है। उत्तरप्रदेश में कानपुर से करीब 27 किमी दूर बिठूर में वाल्मीकि ऋषि का आश्रम है। मान्यता है कि इसी जगह पर वाल्मीकि ऋषि ने रामायण की रचना की थी। इस जगह का धार्मिक महत्व काफी अधिक है। बिठूर के केसी दीक्षित ने बताया कि ये आश्रम देखरेख के अभाव में जर्जर हो रहा है। जबकि, ये स्थान हिन्दू धर्म के मुताबिक काफी महत्वपूर्ण है। यहीं माता सीता ने लव-कुश को जन्म दिया था। जानिए बिठूर आश्रम से जुड़ी खास बातें…

ऐसा है आश्रम का स्वरूप

इस आश्रम में वाल्मीकिजी का एक मंदिर है। यहां इनकी पद्मासन की मुद्रा में बैठी हुई प्रतिमा है। सीधे हाथ में लेखनी है। वाल्मीकिजी के साथ ही भगवान विष्णु की शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए प्रतिमा है। ये आश्रम ऊंचाई पर है। यहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। क्षेत्रवासी इन्हें स्वर्ग की सीढ़ी कहते हैं। सन् 1860 के आसपास यहां नाना पेशवा मंदिर की सीढ़ियों को बनवाया था।

आश्रम में है सीता की रसोई

श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण ने सीता को जंगल में छोड़ दिया था। इसके बाद देवी सीता वाल्मीकि के आश्रम में पहुंच गई थीं। ऋषि वाल्मीकि ने देवी को अपने आश्रम में आश्रय दिया। कुछ समय बाद इसी आश्रम में देवी ने लव-कुश को जन्म दिया था। यहां सीता की रसोई भी है। मान्यता है कि इसी जगह पर देवी खाना बनाती थी। उस समय यहां रहने वाले लोग सीता को वनदेवी कहते थे।

श्रीराम अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे। उन्होंने अपने घोड़े को छोड़ा तो वह वाल्मीकि आश्रम तक पहुंच गया। उस समय लव-कुश थोड़े बड़े हो गए थे। उन्होंने रामजी को घोड़े को पकड़ लिया। वाल्मीकि ऋषि ने दोनों पुत्रों को युद्ध की शिक्षा भी दी थी। इसी वजह से उन्होंने राम को सैनिकों को पराजित कर दिया था। बाद में हनुमानजी, लक्ष्मण और श्रीराम से भी उन्होंने यहीं युद्ध किया था।

Advertisement

0

Related posts

मोटापे से परेशान लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक क्योंकि इनमें पहले से कई बीमारियां, इसलिए अधिक सावधानी बरतें : एक्सपर्ट

News Blast

गुरु शिष्य की गलतियां सुधारकर योग्यता को निखारते हैं, इसीलिए हर स्थिति में गुरु का सम्मान करना चाहिए और सभी सलाह मानें

News Blast

अब जोड़ों के दर्द की छुट्टी, स्टेम सेल से कार्टिलेज बनाने में मिली सफलता, इससे लंगड़ा चूहा भी सही चलने लगा

News Blast

टिप्पणी दें