- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां देवकी ने भगवान कृष्ण के लिए रखा था ये व्रत
दैनिक भास्कर
Jul 01, 2020, 07:20 AM IST
आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खासतौर में भगवान श्रीकृष्ण और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने के बहुत लाभ हैं। पूर्व में हुए ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश हो जाता है। उपवास का शाब्दिक अर्थ है उप यानी समीप और वास का अर्थ है पास में रहना। यानी भोजन और सभी सुखों का त्याग कर के भगवान को अपने करीब महसूस करना ही उपवास है।
ऐसे करें पूजन
वासुदेव द्वादशी के दिन प्रात: जल्द स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का सोलह प्रकार के पदार्थों से पूजन करें। इस दिन भगवान को हाथ का पंखा और फल-फूल विशेष रूप से चढ़ाने चाहिए। पंचामृत भोग लगाना श्रेष्ठकर है। इस दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम जपने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
मां देवकी ने रखा था व्रत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां देवकी ने भगवान कृष्ण के लिए यह व्रत रखा था। इस दिन कृष्णजी की पूजा करने के लिए एक तांबे के कलश में शुद्ध जल भरकर उसे वस्त्र से चारों तरफ से लपेट दें। इसके बाद कृष्णजी की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा करें। जरूरतमंदों को जरूरी चीजों का दान करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करने से संकट कट जाते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।