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पौधों को संक्रमित करने वाले दुनिया के सबसे खतरनाक बैक्टीरिया में से एक है जायलेला फास्टिडिओसा
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बैक्टीरिया की खोज 2013 में हुई थी और फ्रांस में इसका पहला मामला 2015 में सामने आया
दैनिक भास्कर
Apr 18, 2020, 11:07 AM IST
दुनियाभर में कोरोनावायरस इंसानों को मार रहा है और जैतून के पौधों को बैक्टीरिया। पूरे यूरोप में जैतून के पौधे तेजी से सूख रहे हैं और गिर रहे हैं। इसकी भी कहानी कोरोनावायरस की तरह है। वजह है पौधों को बीमार करने वाला सबसे खतरनाक बैक्टीरिया जायलेला फास्टिडिओसा। इस बैक्टीरिया को फैलाने का काम करता है स्पिटलबग्स नाम का कीट। कोरोना की तरह इस बैक्टीरिया का भी वैज्ञानिकों के पास कोई तोड़ नहीं है। इस बैक्टीरिया की खोज 2013 में हुई थी। फ्रांस में इसका पहला मामला 2015 में सामने आया था, तब एक काॅफी के पेड़ में इस बैक्टीरिया का संक्रमण फैला था।
संक्रमण से जुड़ी 7 बड़ी बातें
- पहले इटली, स्पेन और अब यूरोप : यूरोप में प्रभावित हुए जैतून के पेड़ों की कीमत 1.68 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगले 50 सालों में 20 बिलियन यूरो का नुकसान होगा। इटली और स्पेन के जैतून के पौधों में यह संक्रमण पहले ही था, और यूरोप में तेजी से फैल रहा है।
- लैवेंडर रोजमेरी और चेरी भी खतरे में : विशेषज्ञों के मुताबिक, जायलेला फास्टिडिओसा बैक्टीरिया पौधों की 300 प्रजातियों को संक्रमित करने में समर्थ है। यह लैवेंडर, रोजमेरी और चेरी के पौधों को संक्रमित कर सकता है। ये पौधे इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इनके फूलों का इस्तेमाल दवा और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने में भी किया जाता है।
- 95 फीसदी तेल उत्पादन पर असर पड़ेगा : जर्नल प्रोसिडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अगर संक्रमण को न रोका गया तो इसका असर इटली, स्पेन और ग्रीस में 95 फीसदी जैतून के उत्पादन पर पड़ेगा। शोध के मुताबिक इटली में 4.2बिलियन यूरो, स्पेन में 14.5 बिलियन यूरो और ग्रीस में 1.7बिलियन यूरो से अधिक का नुकसान हो सकता है।
- पौधों को रि-प्लांट करने की जरूरत : इस बीमारी पर नीदरलैंड्स की वेगेनिनजेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च टीम के हेड डॉ. केविन स्नेडर का कहना है, इसका तत्काल समाधान निकाला जाना चाहिए। ऐसे में कलम तकनीक से रेसिस्टेंट पौधों को दोबारा रि-प्लांट करने की जरूरत है ताकि भविष्य में अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को कम किया जा सके।
- दो हिस्सों में हुई रिसर्च : शोधकर्ताओं का कहना है, रिसर्च का लक्ष्य है बीमारी के खतरे को कम करने की कोशिश करना और प्रभावित पौधों वाले क्षेत्र में जरूरी बचाव के उपाय लागू करना। इसलिए शोध को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला, जहां सबसे ज्यादा तबाही मची है। दूसरा, ऐसी जगह जहां इस बैक्टीरिया से रेसिस्टेंट पौधों को दोबारा (री-प्लांटेशन) लगाया गया है।
- बढेंगी तेल की कीमतें : रिसर्च के मुताबिक, जिस तरह से बैक्टीरिया के कारण जैतून को नुकसान हो रह उससे जैतून के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की सम्भावना है। जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
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इसलिए सूख जाते हैं पौधे : जब यह बैक्टीरिया संक्रमित करता है तो पौधे में पानी और जरूरी पोषक तत्वों का चढ़ना रुक जाता है। लिहाजा पौधे पहले अपनी चमक खोते है और फिर धीरे-धीेरे सूखते जाते हैं। जैसे हर जैतून का रंग सूखकर भूरा हो जाता है।