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चीनी सामान पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है सरकार, गैर आवश्यक वस्तुओं का आयात कम करने पर फोकस 

  • अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच चीन से 4.7 लाख करोड़ रुपए का आयात
  • कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी से स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को भी बढ़ावा मिलेगा

दैनिक भास्कर

Jun 19, 2020, 08:56 AM IST

नई दिल्ली. लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई हिंसक झड़प के बाद केंद्र सरकार चीन से आयात होने वाले कई सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मुख्य फोकस चीन से गैर आवश्यक वस्तुओं के आयात में कमी लाना है। अभी मुख्य तौर पर चीन से आयात होने वाले सामान पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने पर ही चर्चा चल रही है।

भारत के कुल आयात में चीन की 14 फीसदी हिस्सेदारी

भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच चीन से भारत के लिए 62.4 बिलियन डॉलर करीब 4.7 लाख करोड़ रुपए की वस्तुओं का आयात हुआ है। वहीं, भारत से चीन के लिए 15.5 बिलियन डॉलर करीब 1.1 लाख करोड़ रुपए की वस्तुओं का निर्यात किया। चीन से मुख्य रूप से घड़ी, म्यूजिकल उपकरण, खिलौने, खेल का सामान, फर्नीचर, मैट्रेस, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कैमिकल, आयरन एंड स्टील उत्पाद, फर्टिलाइजर, मिनरल फ्यूल और मेटल का आयात होता है।

स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा रहे कदम

सूत्रों का कहना है कि भारत समय-समय पर चीन के साथ व्यापार घाटे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करता रहता है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 47 बिलियन डॉलर करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए रहा है। केंद्र सरकार स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग और मेक इन इंडिया को प्रमोट करने के लिए कई कदम उठा रही है। इसमें ड्यूटी में बढ़ोतरी भी शामिल है। यदि भारत चीन से आयातित सामान पर कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी करता है तो इससे स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।

2019 में दोनों देशों के बीच 92.68 अरब डॉलर का व्यापार

चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत और चीन का आपसी व्यापार 92.68 अरब डॉलर का रहा। इसमें भारत का व्यापार घाटा 56.77 अरब डॉलर का रहा। 2018 में दोनों देशों का आपसी व्यापार 95.7 अरब डॉलर का था। इसमें भारत का व्यापार घाटा 58.04 अरब डॉलर का था। इसका मतलब है कि भारत चीन को जितना निर्यात करता है, उसके मुकाबले 4 गुना आयात करता है।

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