- कोरोनावायरस के दौर में बॉल चमकाने के पुराने तरीकों पर बहस जारी है
- अब तक खिलाड़ी थूक या पसीने से गेंद की चमक बरकरार रखते आए हैं
दैनिक भास्कर
May 04, 2020, 09:44 PM IST
खेल डेस्क. ऑस्ट्रेलिया की कूकाबूरा कंपनी जल्द ही वैक्स एप्लीकेटर (मोम से बना कैमिकल) लेकर आ रही है। इसका इस्तेमाल क्रिकेट बॉल की चमक बनाए रखने में किया जा सकता है। कोरोनावायरस का दौर खत्म होने के बाद जब क्रिकेट फिर शुरू होगा तो बॉल शाइनिंग के इस तरीके को आजमाया जा सकता है। अब तक खिलाड़ी थूक, लार और पसीने की मदद से गेंद की चमक बनाए रखते आए हैं।
कई हफ्ते से यह चर्चा हो रही है कि क्रिकेट जब दोबारा शुरू होगा तो क्या पारंपरिक तरीके से ही गेंद को चमकाया जाता रहेगा। या फिर, संक्रमण के डर से इस पर रोक लगाई जाएगी।
आईसीसी भी कर रही है विचार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीसी इस बात पर विचार कर रही है कि क्रिकेट दोबारा शुरू होने पर बॉल शाइनिंग के पारंपरिक तरीके पर रोक लगा दी जाए। इससे संक्रमण का बेहद खतरा है। विकल्प की तलाश जारी है। माना जा रहा है कि कृत्रिम पदार्थ (artificial substance) को मंजूरी दी जा सकती है। इसके इस्तेमाल पर अंपायर नजर रखेंगे।
एक महीने में तैयार होगा वैक्स एप्लीकेटर
हालात को देखते हुए कूकाबूरा वैक्स एप्लीकेटर तैयार कर रही है। ये एक महीने में बाजार में आ सकता है। कंपनी के एमडी ब्रेट इलियट ने कहा, “हम गेंद चमकाने के पारंपरिक तरीकों को बदलने के लिए एक वैक्स एप्लीकेटर पर काम कर रहे हैं। अंपायरों की निगरानी में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।”
कैसा होगा एप्लीकेटर?
ब्रेट के मुताबिक, “स्पंज के ऊपरी हिस्से पर खास तरह के मोम की परत होगी। इसे प्लेयर्स या अंपायर्स आसानी से जेब में रख सकेंगे।” बता दें कि ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट ने साफ कर दिया है कि भविष्य में गेंद चमकाने के लिए थूक, पसीने या लार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इलियट के मुताबिक, वैक्स एप्लीकेटर एक महीने में बाजार में आ सकता है। हालांकि, मैच के दौरान ही इसके सही नतीजे सामने आ सकेंगे।
पूर्व खिलाड़ियों की राय
गेंद चमकाने के पारंपरिक तरीकों पर रोक लगाने के बारे में पूर्व खिलाड़ियों की राय अलग-अलग है। माइकल होल्डिंग इस पर रोक को सही नहीं मानते। एलन डोनाल्ड विकल्प के समर्थन में हैं। सचिन तेंडुलकर मानते हैं कि अब थूक से गेंद चमकाने को लेकर खिलाड़ी हिचकिचाएंगे। वकार यूनुन, आशीष नेहरा और हरभजन सिंह पुराने तरीके को ही सही मानते हैं। डेविड वॉर्नर भी पारंपरिक तरीके पर रोक लगाए जाने के पक्ष में नहीं हैं।