May 3, 2024 : 2:12 AM
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करोड़ों रुपए से बने करतारपुर कॉरिडोर की सड़क धंसी, नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन

करोड़ों की लागत से बनाए गए करतारपुर कॉरिडोर के किनारे की सड़कबीते दिन से जारी बारिश की वजह से धंस गई। कई जगह से कॉरिडोर के किनारे लगाई इंटरलॉकिंग टाइलें भी जमीन में धंस चुकी हैं। साथ ही पक्खोके-टाहली साहिब का संपर्क मार्ग टूट गया है। इसको लेकर रविवार कोकिसानों ने नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के खिलाफ की नारेबाजी की है।इस कॉरिडोर कोश्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर जनता को समर्पित किया गया था।

किसान गुरनाम सिंह, हरप्रीत सिंह ने कहा कि एनएचएआई की तरफ से जल्दबाजी में सीगल कंपनी द्वारा करोड़ों की लागत से निर्माण किए गए करतारपुर कॉरिडोर के किनारे जमीन में धंस गई। इस कारण किसानों व आम लोगों का संपर्क टूट गया है। नुकसान की वजह के बारे में किसानों ने बताया कि कॉरिडोर के पानी की निकासी के लिए बनाई गई ड्रेन वाटर व पुलियों की सफाई न होने से बारिश के पानी की निकासी नहीं हो रही है।

करतारपुर कॉरिडोर के किनारे धंस जाने के कारण उखड़ी इंटरलॉकिंग टाइलें।

प्रदर्शनकारियों की मानें तो करतारपुर कॉरिडोर खुलने के मौके पर सरकार व नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने किसानों को यह विश्वास दिलाकर उनकी जमीन ले ली थी कि उनके खेतों में जाने वाले डेरों के मुख्य रास्तों को पक्का कर दिया जाएगा, लेकिन यह आश्वासन भी झूठा ही निकला। इससे अब किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने मांग की है कि करतारपुर कारिडोर के धंसे किनारों का तुरंत निर्माण करवाया जाए और डेरों को जाने वाले रास्ते पक्के किए जाए। इसके अलावा धुस्सी बांध पर पड़े कटाव को भी भरा जाए, ताकि बारिश के मौसम के दौरान किसानों की फसलें तबाह होने से बच सकें।उधर, इस संबंध में जब कॉरिडोर का निर्माण करवा रहे अधिकारी अजीत पाल से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि धंसे हुए सड़कों केकिनारों को तुरंत भरा जा रहा है।

गुरु नानक देव से जुड़ा करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास
पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल से भी पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यहीं बिताए थे। लाहौर से इसकी दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है। लाखों लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था। 26 नवंबर 2018 को भारत सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर पैसेंजर टर्मिनल की नींव रखी तो ठीक दो दिन बाद 28 नवंबर को पाकिस्तान ने सीमा के दूसरी तरफ नींव पत्थर रखा था। इसके बाद गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।

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गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती इलाके डेरा बाबा नानक में पक्खोके-टाहली साहिब का संपर्क मार्ग टूट जाने के बाद एनएचएआई और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते किसान।

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