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जल का महत्व बताती है निर्जला एकादशी, बिना पानी पिए किया जाता है ये व्रत

  • स्कंद पुराण के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से खत्म हो जाते हैं पाप

दैनिक भास्कर

Jun 01, 2020, 06:15 PM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशियां आती हैं। सभी एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं व उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हैं। इन सभी एकादशियों में एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें बिना पानी और अन्न के व्रत रखने से सालभर की एकादशियों जितना पुण्य मिल सकता है। जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस व्रत का महत्व पद्म पुराण में बताया गया है। ये व्रत ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस साल ये 2 जून को है।

  • सालभर में आने वाली समस्त 24 एकादशियों में सबसे बड़ी, महत्वपूर्ण और कठिन एकादशी निर्जला एकादशी मानी गई है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन आने वाली निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत काल में इसे भीम ने किया था। यह व्रत मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करता है। व्रत से जल की वास्तविक अहमियत का भी पता चलता है।

इस दिन किया जाता है जल और तिल का दान
इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके व्रत कथा सुनी जाती है। इसके बाद श्रद्धा के अनुसार दान करने का संकल्प भी लिया जाता है। इस व्रत में जल दान करने का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है। जरूरतमंद लोगों को या मंदिर में तिल, वस्त्र, धन, फल और मिठाई का दान करना चाहिए। स्कंद पुराण और महाभारत के अनुसार निर्जला एकादशी पर पूरे दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इसमें ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को दान करके व्रत खोला जाता है। इस दिन व्रत करने के अलावा जप, तप गंगा स्नान आदि कार्य भी किए जाते हैं।

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