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बिडेन डेमोक्रेटिक उम्मीदवार चुने गए, पार्टी के 1991 प्रतिनिधियों का समर्थन मिला; कहा- देश को बेहतर लीडरशिप की जरूरत

  • अमेरिका में राजनीतिक दल नेशनल कन्वेंशन के जरिए राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनते हैं
  • यूएस में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव, बिडेन का मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से

दैनिक भास्कर

Jun 06, 2020, 05:54 PM IST

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट जो बिडेन का नामांकन (नॉमिनेशन) तय हो गया है। बिडेन ने ट्वीट कर बताया कि नॉमिनेशन के लिए जरूरी 1,991 प्रतिनिधियों का समर्थन मिल चुका है। बिडेन ने कहा कि अब जनता का समर्थन पाने के लिए हर दिन फाइट करेंगे, ताकि देश के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं उसे जीत सकें। अमेरिका इस वक्त ऐसी लीडरशिप के लिए तरस रहा है जो लोगों को एकजुट कर सके।

बिडेन ने कोरोना को चुनावी मुद्दा बनाया
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव 3 नवंबर को होंगे। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। बिडेन ने कोरोना संक्रमण को चुनावी मुद्दा बना रखा है। उनका कहना है कि ट्रम्प ने महामारी से निपटने के फैसलों में देरी की। वहीं, वहीं, ट्रम्प उन्हें ‘बीजिंग बिडेन’ कहकर चीन का समर्थक बता रहे हैं।

नस्लीय भेदभाव के मुद्दे ने भी तूल पकड़ा
कोरोना से अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित है। संक्रमण फैलने के साथ ही वहां की अर्थव्यवस्था भी ठप हो गई है। दूसरी ओर नस्लीय भेदभाव और हिंसा का मुद्दा भी तूल पकड़ चुका है। अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले की 3 स्टेज
1. प्राइमरी इलेक्शन

अलग-अलग राज्यों में प्राइमरी इलेक्शन के जरिए पॉलिटिकल पार्टी ये पता लगाती हैं कि उनका सबसे मजबूत उम्मीदवार कौन है। इसके अलावा कॉकस की प्रक्रिया भी होती है। प्राइमरी इलेक्शन में आम जनता की भागीदारी होती है, वहीं कॉकस में पार्टी के पारंपरिक वोटर और कार्यकर्ता ही हिस्सा लेते हैं।

2. नेशनल कन्वेंशन
प्राइमरी इलेक्शन के जरिए जो प्रतिनिधि चुने जाते हैं वे दूसरे चरण में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए वोटिंग करते हैं। इसी फेज में तय हो जाता है कि दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार कौन होंगे। इसी फेज में नॉमिनेशन भी होते हैं। नॉमिनेशन की प्रक्रिया इसी महीने होगी।

3. चुनाव प्रचार
नामांकन के बाद फिर चुनाव प्रचार का दौर चलता है। दोनों दलों के प्रत्याशियों में डिबेट भी होती है। उम्मीदवार उन राज्यों पर ज्यादा फोकस करते हैं जहां किसी के परंपरागत वोटर नहीं होते।

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