केंद्र सरकार ने ‘एक देश एक चुनाव’ की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई है.
दिलचस्प बात यह है कि इस घोषणा के एक दिन पहले ही सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने का एलान किया था.
हालांकि अभी तक सत्र क्यों बुलाया गया है, इस बारे में सरकार ने जानकारी सार्वजनिक नहीं की है.
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना है, “अभी तो कमिटी बनाई है. इतना घबराने की क्या ज़रूरत है? कमिटी बनाई है, फिर इसकी रिपोर्ट आएगी. कल से ही हो जाएगा, ऐसा तो हमने नहीं कहा है.”
साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में एक साथ चुनाव कराने की बात करते आए हैं. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए राम नाथ कोविंद ने भी इसकी वकालत की थी.
ख़बर के मुताबिक़ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में इसका समर्थन किया था.
देश में एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा सिर्फ़ राजनीतिक नहीं है, इससे क़ानूनी और कई जटिल संवैधानिक प्रश्न भी जुड़े हैं.