इन परियोजनाओं में लगभग 1558 हितग्राही थे, जो कार्य पूरा नहीं होने से परेशान थे। अधिनियम की धारा आठ के अंतर्गत प्राधिकरण को ऐसी परियोजनाओं को पूरा कराने का अधिकार है और इसी के तहत प्राधिकरण द्वारा पहली बार ऐसा निर्णय लिया गया है।गौरतलब है कि इन परियोजनाओं में कई अनियमितता पाए जाने पर प्राधिकरण द्वारा इनके विरुद्ध जांच की गई थी। एजी- 8 वेंचर्स लिमिटेड के द्वारा स्वयं को दिवालिया घोषित करने के संबंध एक याचिका नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में प्रस्तुत की गई थी।एनसीएलटी के आदेश के बाद प्राधिकरण ने आवंटियों के व्यापक हित में एनसीएलएटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण) में अपील प्रस्तुत की गई थी। प्राधिकरण ने इन योजनाओं के अंतर्गत वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता का आकलन कर परियोजनाओं के शेष निर्माण कार्यों को पूरा कराए जाने के संबंध में व्यवहार्य पाए जाने से यह कार्य हाउसिंग बोर्ड को सौंप दिया है।