सुप्रीम कोर्ट में फ़िलहाल काम कर रहे 32 में से 7 जज अगले 10 महीने में ‘भूतपूर्व’ हो जाएंगे. असल में, जनवरी 2022 से नवंबर 2022 के बीच देश की शीर्ष अदालत के मौजूदा 7 जज रिटायर होने वाले हैं.
क़ानूनी जानकारों के अनुसार, यदि सही समय पर नए जज नियुक्त न किए गए, तो न्यायिक प्रशासन का काम प्रभावित होना तय है, क्योंकि तब सुप्रीम कोर्ट में केवल 25 जज ही काम कर रहे होंगे.
पिछले साल 31 अगस्त को जब रिकॉर्ड नौ जजों ने एक साथ अपने पद की शपथ ली, तब मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो गई थी.
तीन हफ़्ते पहले जस्टिस सुभाष रेड्डी के रिटायर हो जाने के बाद यह संख्या अभी घटकर 32 हो गई है. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के मंज़ूर पदों की संख्या 34 हैं.
देश के 4 शीर्ष क़ानूनी विशेषज्ञों से बातचीत की. इन सबका दावा है कि यदि सही वक़्त पर और सही तरीक़े से नए जज नियुक्त न किए गए, तो न्यायिक प्रक्रिया का बाधित हो जाना तय है.
बीबीसी से देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल (एसजी) और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मोहन परासरन ने कहा, “इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों के खाली पदों को रिक्तियों के अनुसार भरा जाना चाहिए.”
उन्होंने बताया, “उस समय तक ज़रूरी पदों के अनुसार जजों को नियुक्त करना न्यायपालिका और सभी वादियों के लिए अच्छी बात होगी.”
वहीं क्रिमिनल मामलों की देश की मशहूर वकील गीता लूथरा ने बताया कि लंबित मामलों से निपटने के लिए, भारत की न्यायपालिका को जजों की नियुक्ति के मसले को बहुत अच्छे ढंग से निपटाना चाहिए.
गीता लूथरा ने बीबीसी को बताया, “जजों की नियुक्ति के मसले को बहुत अच्छे ढंग से संभालना चाहिए ताकि न्याय देने के काम पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े.”
गीता लूथरा ने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि नए जजों की नियुक्तियां होंगी. ये हमेशा चलते रहने वाली प्रक्रिया है. ख़ासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट के जजों का कार्यकाल आमतौर पर छोटा होता है. इसलिए सिस्टम में विधिवत तरीक़े से नियुक्तियां और पदोन्नति होती रहती है, क्योंकि और भी चीज़ें प्रतीक्षा कर रही होंगी.”
गीता लूथरा के अनुसार, ”सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने के लिए जजों की योग्यता और वरिष्ठता का ध्यान रखा जाएगा. उन व्यवस्थाओं को लागू करना चाहिए ताकि जजों और न्याय प्रणाली दोनों को सांस रोककर इन नियुक्तियों के होने का इंतज़ार न करना पड़े.”
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि सुप्रीम कोर्ट में और जज होने चाहिए, लेकिन मामलों के अनुपात में जजों की संख्या का अनुपात सही होना ज़रूरी है. हालांकि मुझे लगता है कि इसे नीचे से शुरू करने की ज़रूरत है.
खाली होने से पहले ही शुरू हो प्रक्रिया
देश के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केसी कौशिक ने भी इस बारे में बीबीसी से बातचीत की.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को अपने संभावित जजों के नामों को केंद्र सरकार के पास मंज़ूरी के लिए भेजने की प्रक्रिया सही वक़्त पर शुरू कर देनी चाहिए, ताकि सभी रिक्त पद बिना खाली हुए ही भर दिए जाएं.
केसी कौशिक ने बीबीसी से कहा, “कॉलेजियम को पद के खाली होने के कम से कम छह महीने पहले से उसे भरने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में जजों की मौजूदा संख्या पर्याप्त है, बशर्ते सही वक़्त पर रिक्तियों को भरा जाए.”
उन्होंने कहा कि जज छुट्टियां कम करने पर विचार कर सकते हैं ताकि सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाए जाने का इंतज़ार किए बिना और अधिक मामले निपटाए जा सकें.
केसी कौशिक ने कहा, “देश के सभी कॉलेजियमों को सही समय पर खाली पदों को भरने के तरीक़े तलाशने चाहिए.”
इस साल कौन-कौन जज होंगे रिटायर?
जनवरी 2022 से नवंबर 2022 के बीच सुप्रीम कोर्ट के ये 7 सीनियर जज रिटायर हो जाएंगे. जानिए कब कौन होंगे रिटायर-
1) जस्टिस विनीत सरन (10-05-2022)
2) जस्टिस एल नागेश्वर राव (07-06-2022)
3) जस्टिस एएम खानविलकर (29-07-2022)
4) सीजेआई एनवी रमन्ना (26-08-2022)
5) जस्टिस इंदिरा बनर्जी (23-09-2022)
6) जस्टिस हेमंत गुप्ता (16-10-2022)
7) जस्टिस उदय उमेश ललित (08-11-2022) – यदि सब कुछ ठीक रहा तो जस्टिस ललित सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रमुख मामले
सभी केस सुप्रीम कोर्ट के 5, 7 और 9 जजों की पीठ के समक्ष लंबित हैं. इनमें से 49 मुख्य मामले हैं, जबकि 372 केस इन मुख्य मामलों से जुड़े हुए हैं.
इन लंबित मामलों में जो प्रमुख हैं, वे हैं- बिना उचित संसदीय प्रक्रिया के अनुच्छेद 370 की समाप्ति, यूएपीए का हो रहा दुरुपयोग, नागरिकता संशोधन क़ानून, राजद्रोह क़ानून, निजता भंग करने से मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला, पेगासस जासूसी मामला, आधार, चुनावी बॉन्ड और इलेक्टोरल बॉन्ड में पारदर्शिता और राफ़ेल लड़ाकू विमान सौदा.
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व एएसजी विकास सिंह ने बीबीसी से बात की. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले दो साल से अधिक समय से लंबित संवैधानिक मामलों को बेहद ज़रूरी मानते हुए इसकी सुनवाई के लिए तुरंत उचित संख्या वाली पीठों को बनाया जाना चाहिए.
विकास सिंह ने कहा कि ये मामले देश की बहुत बड़ी आबादी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करने के साथ ये राष्ट्रीय महत्व के मामले भी हैं.
उन्होंने बताया, “मामलों का जल्दी निपटारा होने से न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट में नागरिकों का भरोसा फिर से बहाल हो पाए. इसलिए, सही समय पर नियुक्ति हो जिससे कि लंबित मामले निपटाए जा सकें.”
विकास सिंह कहते हैं, “जजों की संख्या की तुलना में उनकी गुणवत्ता बहुत मायने रखती है. जजों की नियुक्ति प्रक्रिया उनके रिटायर होने से पहले शुरू होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन उनकी नियुक्ति प्रक्रिया सही समय पर शुरू हो.”